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Monday, July 21, 2025

SUPAUL/खुद का टेलीफोन एक्सचेंज बनाकर देश भर में साइबर फ्रॉड, जेडीयू नेता निकला मास्टरमाइंड

बिहार में की आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) ने दूरसंचार विभाग के सहयोग से एक बड़ा साइबर क्राइम सिंडिकेट का पर्दाफाश किया है। यह साइबर फ्रॉड गिरोह सिम बॉक्स के माध्यम से खुद का समानांतर टेलीफोन एक्सचेंज का संचालन कर रहा था। इसमें विदेश से आने वाले कॉल को लोकल नंबरों में कन्वर्ट कर देशभर में लोगों से साइबर ठगी की जा रही थी। सुपौल से गिरफ्तार जेडीयू का नेता हर्षित मिश्रा इसका मास्टरमाइंड है। जिसे अब पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने कहा कि हर्षित मिश्रा पर कार्रवाई करते हुए उन्हें निष्कासित किया गया है। पार्टी ऐसे मामलों में बेहद संवेदनशील है। हम जीरो टालरेंस की नीति पर कायम हैं।

हर्षित ने सिम बॉक्स को चलाने के लिए झारखंड के पाकुड़ के रहने वाले सुमित शाह नाम के अपराधी से करीब 1000 सिम लिए थे। समानांतर टेलीफोन एक्सचेंज चलाकर कंबोडिया, थाइलैंड एवं अन्य देशों में स्थित साइबर स्कैम के अड्डों से प्रारंभ होने वालीं वीओआईपी कॉल्स को लोकल जीएसएम कॉल्स में रूपांतरित किया जाता था।

जेडीयू का युवा प्रदेश सचिव है हर्षित

इस बड़े साइबर फ्रॉड सिंडिकेट का मुख्य आरोपी हर्षित कुमार राजनेता और जमीन कारोबारी है। कुछ महीने पहले ही उसे जेडीयू का युवा प्रदेश सचिव बनाया गया था। ईओयू की टीम ने शनिवार शाम को उसके सुपौल जिले में करजाइन थाना क्षेत्र के गोसपुर गांव स्थित आवास पर छापेमारी की। रविवार सुबह तक चली छापेमारी के बाद ईओयू उसे हिरासत में लेकर पटना ले गई। उसके घर से कई सिम, लैपटॉप, मशीनें और संदिग्ध दस्तावेज भी जब्त हुए।

स्थानीय लोगों की मानें तो हर्षित कोरोना काल में पटना से पढ़ाई छोड़कर घर आ गया था। इसके बाद वह अपने घर के एक कमरे में अक्सर बंद रहता था। कमरे में वह क्या करता था, इस बारे में परिजन और लोगों को नहीं पता था। हालांकि, बीते कुछ सालों में उसने अपना रसूख बना लिया था। जब भी बाहर निकलता तो साथ में बॉडीगार्ड लेकर चलता था। लोगों को लगता था कि वह जमीन कारोबार में अच्छी कमाई कर रहा है। हालांकि, किसी के भी उसके साइबर अपराधी होने की भनक नहीं लगी थी।