बेगूसराय जिले से लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर हुए हमले की एक शर्मनाक और भयावह घटना सामने आई है। चेरिया बरियारपुर थाना क्षेत्र में कार्यरत स्थानीय पत्रकार प्रिंस कुमार और उनके परिवार को मुखिया पति प्रमोद महतो और उसके गुर्गों ने मिलकर 16 जुलाई की शाम खून से लथपथ कर दिया।
यह हमला न सिर्फ व्यक्ति विशेष पर है, बल्कि लोकतंत्र, पत्रकारिता और सच्चाई के मूल्यों पर एक बर्बर प्रहार है।
प्रत्यक्षदर्शियों और स्थानीय नागरिकों की मानें तो पत्रकार प्रिंस कुमार ने क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार और प्रशासनिक अनियमितताओं की सच्चाई सामने लाने का साहस किया था। इसी साहस की सज़ा उन्हें सरेआम लाठी-डंडों और गालियों से दी गई। घटना के वक्त पत्रकार के परिजन भी हमलावरों की हैवानियत का शिकार बने, जो इस पूरे कृत्य की अमानवीयता को और भी गहरा बना देता है। घायल पत्रकार को गंभीर अवस्था में बेगूसराय सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनकी हालत चिंताजनक बनी हुई है।
सबसे शर्मनाक पहलू यह है कि हमले के वक्त पुलिस मौके पर मौजूद थी, परंतु मूकदर्शक बनी रही। यह चुप्पी बताती है कि जब सत्ता और अपराध का गठजोड़ होता है, तो संविधान के रक्षक भी मौन साध लेते हैं। पीड़ित परिवार ने साफ कहा है कि उन्हें पहले से धमकियाँ मिल रही थीं, जिसकी जानकारी पुलिस को दी गई थी, पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
इस हमले के बाद से इलाके में तनाव की स्थिति है। पत्रकार संघों में जबरदस्त आक्रोश व्याप्त है। मीडिया बिरादरी ने इसे लोकतंत्र के खिलाफ साजिश करार देते हुए दोषियों की अविलंब गिरफ्तारी, पीड़ित पत्रकार को सुरक्षा प्रदान करने, तथा निष्क्रिय पुलिसकर्मियों के विरुद्ध कार्रवाई की माँग की है।