जिले में कोराेना संक्रमण से स्वास्थ्यकर्मी की मौत का पहला मामला सामने आया है। उदाकिशुनगंज पीएचसी में कार्यरत स्वास्थ्यकर्मी की सोमवार की शाम को पटना में इलाज के दौरान मौत हो गई थी। मंगलवार को जब उसका शव मधेपुरा लाया गया, तो कोविड-19 का सैंपल लिया गया, जिसमें पुष्टि हुई कि वे कोरोना संक्रमित थे। वैसे मधेपुरा में कोरोना होने और ठीक होने के बाद अन्य कारणों से अबतक चार लोगों की मौत हो चुकी है। इसमें सबसे पहली मौत बिहारीगंज के मोहनपुर पंचायत की एक महिला की हुई, जो कैंसर की मरीज थी। पटना में इलाज के दौरान उसे संक्रमण हुआ था। बाद में ठीक होने पर उसे घर भेज दिया गया। लेकिन घर पर कुछ दिन के बाद उसकी मौत हो गई। इसके बाद शहर के मेन रोड शिव मंदिर के समीप एक कोरोना संक्रमित व्यवसायी के पिता की मौत हुई। मौत के बाद लिए गए सैंपल में वे कोरोना पॉजिटिव पाए गए। जबकि दो दिन पूर्व भी एनएमसीएच में जिले के 73 वर्षीय एक व्यक्ति की मौत हो गई। विदित हो कि स्वास्थ्यकर्मी पिछले कुछ दिनों से बीमार थे। कोरोना की जांच रैपिड टेस्ट से हुई थी, जो निगेटिव आई थी। उसके बाद बीमारी के लक्षण दिखाई देने पर अस्पताल के चिकित्सकों ने बाहर जाकर इलाज कराने की सलाह दी। इसके बाद स्वास्थ्यकर्मी शुक्रवार को पूर्णिया गए। वहां भर्ती नहीं हो पाने के कारण शनिवार को सहरसा के एक क्लीनिक में भर्ती हुए। वहां से भी उन्हें पटना रेफर कर दिया गया। पटना के आईजीआइएमएस में भी बेड के अभाव में भर्ती नहीं हो पाए। बाद में सोमवार को पारस अस्पताल ले जाया गया, जहां स्वास्थ्यकर्मी की मौत हो गई। वहीं मंगलवार को मेडिकल कॉलेज से एक कोरोना मरीज भाग गया। जिसे चार घंटे बाद पकड़ लिया गया। इस दौरान वह बगल के कमरैला टोला में लोगों से मिलता रहा।
सैंपल देने को लगी रही लोगों की दिनभर भीड़
जैसे-जैसे संक्रमण बढ़ रहा है, उस अनुपात में जांच नहीं हो पा रही है। इसके पीछे एक बड़ा कारण यह है कि मधेपुरा में स्वास्थ्य विभाग के पास पर्याप्त संख्या में कोविड-19 का सैंपल लेने के लिए तकनीशियन नहीं हैं। जबकि अब ज्यादा लोग जांच कराना चाहते हैं। इस कारण से लोगों की भीड़ लगी रहती है। एक साथ जुटने वाली यह भीड़ भी खतरनाक हो सकती है। मंगलवार को सदर अस्पताल के सैंपल कलेक्शन सेंटर में काफी भीड़ देखी गई। यह भीड़ तरीके से व्यवस्थित नहीं हो तो जिन्हें संक्रमण नहीं भी है, उनमें भी संक्रमण हो सकता है। दूसरी ओर, जांच की गति तेज नहीं होने के कारण कई-कई दिनों तक रिपोर्ट भी पेंडिंग रह रही है। इससे भी खतरा बढ़ सकता है।
शंकरपुर में फिर मिला एक कोरोना मरीज
शंकरपुर | शंकरपुर अंचल कार्यालय से जुड़ा एक प्राइवेट कर्मी कोरोना संक्रमित पाया गया। 17 जुलाई को पीएचसी शंकरपुर में 61 लोगों का सैंपल लिया गया था। सोमवार को उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई। विदित हो कि पीड़ित कर्मी जिरवा मधैली पंचायत का निवासी है। पीएचसी प्रभारी डाॅक्टर कुंदन कुमार ने बताया कि संक्रमित व्यक्ति को मेडिकल कॉलेज मधेपुरा भेज दिया गया है।
गाइडलाइन के अनुसार दाह संस्कार करने को कहा गया
उदाकिशुनगंज अस्पताल के स्वास्थ्यकर्मी के शव से मंगलवार को कोविड-19 का सैंपल लिया गया। जिसमें वे कोरोना संक्रमित पाए गए। गाइडलाइन के अनुसार उनका दाह संस्कार करने को कहा गया है।
-डॉक्टर आरपी रमण, प्रभारी सीएस, मधेपुरा
लापरवाही से तेजी से फैल सकता है कोरोना
पिछले कुछ दिनों से सदर अस्पताल और जिला स्वास्थ्य समिति के डॉक्टर समेत कई कर्मी कोरोना संक्रमित पाए गए हैं। इससे यहां स्टाफ की भी कमी होने लगी है। जिसका असर स्वास्थ्य सेवाओं पर भी देखने को मिल रहा है। इससे इतर अब यहां लापरवाही भी देखने को मिल रही है। बताया गया कि मंगलवार को कोराेना संक्रमित स्वास्थ्यकर्मी के पोस्टमार्टम में शामिल एक डॉक्टर ने पीपीई किट पहन रखी थी। पोस्टमार्टम के बाद उन्होंने पीपीई किट को वहीं खुले में फेंक दिया। इसके बाद मास्क उतार कर वह वहीं के एक सार्वजनिक चापाकल पर नहाने लगा। इस तरह की लापरवाही से खतरा बढ़ सकता है। लोगों का कहना है कि खासकर कोरोना को देखते हुए मेडिकल वेस्टेज का निस्तारण तो सही तरीके से किया जाना चाहिए। अन्यथा इस तरह के मेडिकल वेस्टेज से कोरोना फैलने की संभावना और बढ़ जाएगी।