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Thursday, April 9, 2020

सहरसा।रामानंद की हत्या के बाद नक्सली सुगबुगाहट तेज

सहरसा। पूर्वी कोसी तटबंध के भीतर सहरसा, खगड़िया, बेगुसराय, समस्तीपुर और दरभंगा जिलों के कई थाना एवं ओपी क्षेत्र के कोसी दियारा में अपना-अलग साम्राज्य चलाने वाले पहलवान के नाम से चर्चित रामानंद यादव की नक्सली गैंगवार में हुई हत्या के बाद इलाके में नक्सली सुगबुगाहट तेज होती जा रही है। वर्चस्व को लेकर पूर्व में भी रामानंद व नक्सली के बीच गोलीबारी हो चुकी थी, लेकिन बुधवार की शाम नक्सलियों ने ताबड़तोड़ फायरिग कर रामानंद की हत्या कर एक युग का अंत कर दिया।

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वर्चस्व की लड़ाई में रामानंद की हुई हत्या

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रामानंद पहलवान की हत्या में जिस तरह से अंधाधुंध फायरिग कर घटना को अंजाम दिया गया उससे दियारा में दहशत का माहौल बन गया है। ग्रामीण की मानें तो नक्सली मनोज सादा एवं संजय सादा के गिरोह के द्वारा हत्या किए जाने की बात कही जा रही है। वहीं रामानंद के दुश्मन उसके अपने ही चचेरे भाई से नक्सलियों के सांठगांठ की बात भी सामने आ रही है। इससे इतर, कई माह पहले खगड़िया शहर में बरियाही के मुखिया पदुमलाल का हत्या किए जाने के बाद रामानंद एवं उनके चचेरे भाई का नाम सामने आया था। जब चचेरे भाई लालो यादव मुखिया एवं सुरेश मुखिया से रामानंद का खुद को कई सालों से मतभेद था।

सूत्र बताते हैं कि रामानंद जमीन हड़पने के लिए पदुमलाल की हत्या भी करना चाहता था। उसी जमीन को लेकर अपने चचेरे भाई लालो एवं सुरेश से भी इनकी अदावत चल रही थी। जब चचेरे भाई उसी पंचायत के मुखिया लालो की जब हत्या हुई तो लालो मुखिया के परिजन एवं संबंधियों ने इस घटना को अंजाम देने का रामानंद के सिर ही थोपा था। लोग इस घटना को रामानंद के आपसी दुश्मनी का भी खामियाजा कह रहे हैं। लोगों का कहना है कि चचेरे भाई लालो मुखिया के बदले का परिणाम रामानंद पहलवान की हत्या है। जबकि उसके बाद रामानंद के चचेरे भाई लालो मुखिया से भी दुश्मनी चल रही थी।

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पुलिस की मदद करता था रामानंद यादव

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रामानंद यादव एक तरफ कई बार पुलिस की मदद कर चुका है। जबकि नक्सलियों का दुश्मन बना हुआ था। बलवा हाट के सरोजा, रामपुर मथायर दियारा, समस्तीपुर एवं दरभंगा जिले के दर्जनों जमींदारों को खदेड़ कर सैकड़ों एकड़ जमीन पर रामानंद ने अपना कब्जा बनाकर साम्राज्य स्थापित कर लिया था। जिसके बाद जमींदारों के जमीन पर अपना घर बना कर गुजर-बसर करने वाले एक समुदाय को बेघर होना पड़ा तथा रोजी-रोटी के लिए उनके लाले पड़ने लगे। जिसके बाद एक खास समुदाय के कुछ नौजवान युवक नक्सली बोधन सादा से मिलकर नक्सली के रूप में अपने आप को जोड़ने का काम करने लगा।

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नक्सलियों के पनपने का फरकिया में बढ़ा खतरा

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दियारा में रामानंद यादव का अपना दबदबा था। वहीं कई और बदमाश भी दियारा में सक्रिय रहे हैं। जिसमें अशोक सम्राट, शर्मा यादव, सुरेश पहलवान, कजला उर्फ काजल यादव, पारो उर्फ परमानंद यादव एवं दिनेश विपिन गिरोह है। लेकिन रामानंद यादव का समाज में एक अलग पहचान थी। उन्हें पंचेतिया के रूप में जाना जाता था। लेकिन कोसी दियारा में एक बार फिर रामानंद यादव की हत्या के बाद बदमाशों का मनोबल जहां टूट गया। दियारा क्षेत्र में अमौसी नरसंहार के सरगना बोधन सादा से संबंध रखने वाले कुछ नौजवान अपराधी व नक्सलियों का रूप लेकर आतंक मचाने के बाद रामानंद की जमीन पर कब्जा कर सकते हैं।