बेतिया राज लैंड: हजारों एकड़ जमीन पर अवैध कब्जा, 32,700 लोगों को खाली करने का आदेश
बिहार के रक्सौल क्षेत्र में बेतिया राज की विशाल भू-संपदा पर वर्षों से चले आ रहे अवैध कब्जों को लेकर प्रशासन ने सख्त रुख अपनाया है। बिहार सरकार द्वारा बेतिया राज की जमीन को आधिकारिक तौर पर सरकारी संपत्ति घोषित किए जाने के बाद जिला प्रशासन ने पहली बार उन जमीनों की सूची सार्वजनिक की है, जिन पर अवैध कब्जा पाया गया है।
इस सूची के सामने आते ही रक्सौल के विभिन्न इलाकों में बेतिया राज की जमीन पर घर या कारोबार चला रहे करीब 32,700 कब्जेदारों में हड़कंप मच गया है। प्रशासन ने सभी अवैध कब्जेदारों को तत्काल जमीन खाली करने का आदेश दिया है, जिससे इलाके में बड़ा सामाजिक और प्रशासनिक संकट खड़ा हो गया है।
अतिक्रमण हटाओ अभियान की तैयारी
जिला प्रशासन अब बेतिया राज की सरकारी जमीन से अतिक्रमण हटाने के लिए व्यापक अभियान की तैयारी में जुट गया है। अभियान के दौरान भारी पुलिस बल की तैनाती की जाएगी और पूरे मामले की निगरानी वरीय अधिकारियों द्वारा की जाएगी।
रक्सौल जैसे घनी आबादी वाले क्षेत्र में इतने बड़े पैमाने पर अतिक्रमण हटाना प्रशासन के लिए आसान चुनौती नहीं माना जा रहा है।
इस मुद्दे पर स्थानीय नेताओं और सामाजिक संगठनों की प्रतिक्रियाएं भी सामने आने लगी हैं। कुछ लोग सरकार के फैसले को सही ठहरा रहे हैं, तो वहीं कई सामाजिक कार्यकर्ता मानवीय आधार पर कब्जेदारों को समय और वैकल्पिक व्यवस्था देने की मांग कर रहे हैं।
प्रभावित परिवारों की चिंता बढ़ी
आदेश जारी होने के बाद प्रभावित परिवारों में चिंता और भय का माहौल है। कई लोगों का कहना है कि उन्होंने अपनी पूरी जमा-पूंजी लगाकर इन जमीनों पर घर बनाए हैं। उनका आरोप है कि बिना किसी पूर्व चेतावनी के सीधे खाली करने का आदेश देना अन्यायपूर्ण है।
कई परिवारों ने सरकार से अपील की है कि उन्हें विस्थापन से पहले पुनर्वास या वैकल्पिक व्यवस्था उपलब्ध कराई जाए।
सरकार की सख्ती और आगे की रणनीति
बिहार सरकार का कहना है कि अवैध कब्जों के खिलाफ सख्ती उसकी प्राथमिकता है। बेतिया राज की जमीन को कब्जामुक्त कराना राज्य की संपत्ति को सुरक्षित करने और भू-माफियाओं पर लगाम लगाने की दिशा में बड़ा कदम बताया जा रहा है।
प्रशासन ने संकेत दिए हैं कि आने वाले दिनों में अवैध कब्जों की पहचान कर उन्हें हटाने की प्रक्रिया और तेज की जाएगी।
हालांकि, इतने बड़े पैमाने पर विस्थापन की स्थिति में कानून-व्यवस्था बनाए रखना प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती होगी। अब सबकी नजर इस बात पर टिकी है कि सरकार इस अभियान को किस तरह लागू करती है और क्या प्रभावित लोगों को कोई राहत या पुनर्वास की व्यवस्था मिल पाती है।