पुलिस के अनुसार, गौरव कुमार पहले से ही शहर की युवती के खिलाफ शादी का झांसा देकर ठगी करने के मामले में पुलिस रडार पर था। मुकुंद माधव ने अपने साथ पकड़े गए 99.09 लाख रुपये के संबंध में भी यही नाम लिया।
व्यापारी का बयान और लग्जरी गाड़ी का मामला
मुकुंद माधव ने बताया कि उसने गोरखपुर में गौरव कुमार को लग्जरी गाड़ी मुहैया कराई थी। पुलिस ने पुष्टि की है कि गौरव का कोई प्रशासनिक रिकॉर्ड नहीं है और उसका IAS होने का कोई प्रमाण नहीं मिला।
गौरव का मोबाइल नंबर अब बंद है और उसे सर्विलांस पर रखा गया है।
विश्लेषकों का कहना है कि गौरव कुमार पिछले कुछ महीनों से गोरखपुर और वाराणसी के बीच सक्रिय था और संगठित नेटवर्क के जरिए कई लोगों से रकम वसूली करता था।
वह खुद को केंद्र सरकार में अधिकारी बता ठेके और सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर पैसा लेता था।
चुनावी एंगल की जांच
आयकर विभाग और जीआरपी यह रकम बिहार चुनाव से जोड़कर भी देख रहे हैं। बिहार चुनाव आयोग और खुफिया एजेंसियों से प्राथमिक जानकारी जुटाई गई, लेकिन अब तक किसी राजनीतिक व्यक्ति या पार्टी से उसका कोई संबंध सामने नहीं आया। अधिकारियों ने कहा कि अब जांच व्यावसायिक और हवाला नेटवर्क की दिशा में केंद्रित कर दी गई है।
व्यापारी की पृष्ठभूमि
मुकुंद माधव मूल रूप से मोकामा के शेरपुर गांव के निवासी हैं। उन्होंने लगभग 15 साल पहले अपने पैतृक गांव को छोड़कर मोकामा शहर में स्टेशनरी व्यवसाय शुरू किया।
मुकुंद ने पिता का व्यवसाय संभाला और शहर में आलिशान घर और तीन करोड़ के व्यवसायिक भूखंड पर मैरेज हाल बनाया।
हालांकि उस पर कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं है, लेकिन शहर में यह चर्चा रही कि उसने संपत्ति अर्जित करने के लिए गलत रास्ते अपनाए।
जांच की दिशा
स्थानीय खुफिया इकाई (एलआइयू), जीआरपी और आयकर विभाग की टीम मिलकर इस मामले की संयुक्त जांच कर रही है। फिलहाल आशंका है कि गौरव कुमार ने कई जिलों में फर्जी पहचान के जरिए वसूली की।
