हैदराबाद. तेलंगाना (Telangana) के वारंगल जिले (Warangal District) में बीते 21-22 मई को एक कुएं से 9 शव मिलने के पीछे की कहानी सुनकर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे. वारंगल पुलिस की जांच से जो सच सामने आ रहा है, उसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे. जी हां, बिहार के रहने वाले एक मजदूर ने वासना में अंधे होकर पहले एक महिला को चलती ट्रेन से नदी में फेंक दिया. फिर इस कत्ल का राज छुपाने के लिए वारंगल के गोरकुंटा गांव में रहने वाले एक परिवार के 6 सदस्यों और 3 अन्य मजदूरों को मौत के घाट उतार दिया. एक साथ 9-9 लोगों की हत्या के बाद भी आरोपी की दरिंदगी कम न हुई और उसने सभी शवों को एक-एक कर कुएं में फेंक दिया. वारंगल पुलिस ने जब इस 30 साल के आरोपी बिहार निवासी मजदूर संजय कुमार यादव को गिरफ्तार किया, तब जाकर उसके कत्ल-ए-आम की कहानी सामने आई है.
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक वारंगल के पुलिस कमिश्नर डॉ. वी. रविंदर ने बताया कि 9 लोगों की हत्या का आरोपी संजय कुमार यादव बिहार का रहने वाला है और यहां जूट मिल में काम करता है. वह यहां पर राफिका नाम की महिला और उसके 3 बच्चों के साथ रहता था. राफिका का रिश्तेदार मकसूद आलम भी यहीं पर अपने परिवार के साथ रहता था. संजय ने पहले राफिका की हत्या की, इसके बाद मकसूद आलम, उसकी पत्नी, दोनों बेटे और पोती का भी मर्डर कर दिया. उसका राज कहीं खुल न जाए, इसलिए संजय ने मिल में काम करने वाले 3 अन्य मजदूरों की भी हत्या कर इन सभी का शव कुएं में फेंक दिया.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, मकसूद आलम और उसका परिवार जूट मिल के गोदाम में रहते थे. उसकी रिश्तेदार राफिका भी अपने बच्चों के साथ रहती थी. मकसूद ने राफिका को भी जूट मिल में नौकरी लगा दी थी. यहीं पर काम करते वह संजय के संपर्क में आई और दोनों में प्यार हो गया. इसके बाद राफिका अपने बच्चों के साथ संजय के घर में रहने आ गई. बीते दिनों राफिका की बड़ी बेटी के प्रति संजय की बुरी नजर देख, दोनों में विवाद हुआ. इस पर संजय तत्काल तो संभल गया और राफिका से शादी करने की बात कही. लेकिन उसने राफिका को रास्ते से हटाने का फैसला कर लिया. इसके बाद संजय और राफिका 7 मार्च को गरीब रथ ट्रेन से पश्चिम बंगाल के लिए रवाना हो गए. संजय ने चलते समय राफिका से कहा था कि वह उससे शादी करने वाला है.
नींद की गोली खिला राफिका को ट्रेन से फेंका
पुलिस कमिश्नर रविंदर ने बताया कि ट्रेन में सवार होते समय ही संजय ने राफिका को छाछ में नींद की गोली मिलाकर खिला दी. रास्ते में गोदावरी नदी आने पर उसने राफिका को उठाकर ट्रेन से नीचे नदी में फेंक दिया. इसके बाद वह राजमुंद्री स्टेशन पर उतरकर वापस वारंगल लौट आया. यहां आने पर उसने राफिका के बच्चों को बताया कि उनकी मां बंगाल में है. लेकिन मकसूद और उसकी पत्नी निशा को संजय की बातों पर शक हुआ. वे उससे लगातार राफिका के बारे में पूछताछ करने लगे, साथ ही पुलिस में जाने की धमकी भी दी. इस पर संजय ने मकसूद और उसके परिवार को निपटाने का प्लान बनाया.
20 मई की रात 9 लोगों का मर्डर
मकसूद और निशा की धमकी से खीझकर संजय ने इसी महीने 20 मई को पूरे परिवार को खत्म करने की योजना बनाई. साजिश के तहत वह 50-60 नींद की गोलियां लेकर मकसूद के घर पहुंच गया. उस दिन वहां पर श्याम और श्रीराम के अलावा तीसरा मजदूर शकील भी मौजूद थे. शकील को मकसूद के घर में ही उस दिन खाना था. मकसूद के घर में जाकर पहुंचकर संजय उसकी रसोई में पहुंचा और वहां दाल में उसने नींद की गोलियां मिला दीं. श्याम और श्रीराम चूंकि अलग खाना बनाते थे, इसलिए उनके खाने में भी संजय ने नींद की गोलियां डाल दीं. वारंगल पुलिस के मुताबिक, उस रात करीब 2 बजे तक संजय, मकसूद के घर में ही था. नींद की गोलियां मिला खाना खाकर जब सभी लोग अचेत हो गए, उसके बाद संजय ने एक-एक कर सबको कुएं में फेंक दिया.
ऐसे पकड़ा गया सामूहिक हत्याकांड का आरोपी
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, वारंगल पुलिस कमिश्नर ने बताया कि पुलिस को इस जघन्य हत्याकांड को अंजाम देने वाले संजय पर उस वक्त शक हुआ, जब जूट मिल से उसके जाने के वीडियो फुटेज सीसीटीवी कैमरे से मिले. हत्याकांड की रात सभी लोगों को कुएं में फेंकने के बाद सुबह करीब साढ़े 5 बजे संजय अपनी साइकिल से घर गया था, जिस दौरान उसकी तस्वीर सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई थी. कमिश्नर ने बताया कि पुलिस संजय से पूछताछ कर रही है. साथ ही इस बात की भी जांच कर रही है कि आखिर इतनी बड़ी मात्रा में संजय ने नींद की गोलियां कैसे खरीद लीं.
