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सहरसा : अब्बा, आग लग गयी है... बचाओ, निकलने का नहीं है रास्ता
सहरसा : हैलो, अब्बा... आग लग गयी है... बचाओ... निकलने का कोई रास्ता भी नहीं है... यह कहते हुए मो खुर्शीद आलम फफकते हुए रो पड़ते हैं. दिल्ली के फिल्मिस्तान स्थित फैक्ट्री में लगी आग के दौरान मो खुर्शीद आलम फैक्ट्री के अंदर आग की लपटों से घिरे अपने बेटे मो फैजल से बात कर रहे थे.
लेकिन सिवाय दिलासा व आश्वासन के कुछ नहीं कर पा रहे थे. एक बार फोन कटने के बाद दोबारा फिर फोन कर बेटे से निकलने का रास्ता या कोई तरीका पूछ ही रहे थे कि फिर से फोन कट गया और उसके बाद से अब तक न तो फोन लगा और न ही उसके बाद फैजल से बात हो पायी. छह बेटों में पांचवें नंबर का फैजल अपने मां-बाप का दुलारा था. पांच साल पहले 13 साल की उम्र में दिल्ली गया फैजल अपने भरे पूरे बड़े परिवार का आर्थिक रूप से काफी बड़ा सहारा था.
वह अपने पिता को अक्सर अपने धनवान बनने और माता-पिता की सेवा की बात कहता था. पिता खुर्शीद आलम कहते हैं कि फैजल से रोज बात होती थी. वह काफी हंसमुख और मिलनसार स्वभाव का था, जिसके कारण वह नरियार में भी काफी पसंद किया जाता था. नरियार में ही फैजल के दोस्त वासिम ने बताया कि फैजल जब भी दिल्ली से घर आता था, परिवार सहित हमलोगों के लिए भी उतने दिन यादगार हो जाते थे.
दिल्ली के भीषण अग्निकांड में बिहार के 29 लोगों की इहलीला समाप्त हो गई। मृतकों में सहरसा और अररिया के नौ, समस्तीपुर के 11, सीतामढ़ी के बोखरा के पांच, मधुबनी, सुपौल और बेगूसराय के 1-1 और मुजफ्फरपुर के दो लोग शामिल हैं। इस घटना पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गहरी संवेदना जताई है।
रविवार को अगलगी की घटना की जानकारी मिलते ही श्रम संसाधन मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने श्रमायुक्त धर्मेन्द्र सिंह को दिल्ली भेज दिया। बिहार सरकार के निर्देश पर श्रम संसाधन विभाग के अधिकारी हरेक बिहारी मृतक के परिजनों से सम्पर्क साध रहे हैं। दिल्ली में रह रहे मृतक बिहारियों के परिजन अगर पैतृक गांव में अंत्येष्टि कराना चाहेंगे तो बिहार सरकार उनको अपने खर्चे से दिल्ली से संबंधित जिलों में ले जाने की व्यवस्था करेगी। वहीं जिनके परिजन दिल्ली में नहीं होंगे, उनको बिहार सरकार दिल्ली ले जाने की व्यवस्था करेगी। सरकार की घोषणा के अनुसार हरेक मृतक के परिजनों को दो-दो लाख का अनुग्रह अनुदान बिहार सरकार की ओर से दिया जाएगा।
मौत की सूचना मिलते ही समस्तीपुर के सिंघिया प्रखंड के हरपुर, ब्रह्मपुरा व बेलाही गांव कोहराम मच गया। मृतकों के घर में लोगों का रो-रोकर बुरा हाल हो रहा है। घटना में तीनों गांवों के कई लोगों का पता नहीं चल रहा है। मरने वाले व लापता लोग बैग फैक्ट्री में काम करते थे। इस अग्निकांड में सहरसा के जिन सात लोगों की जान गई है, उनमें छह शहर से सटे नरियार के रहने वाले थे। जबकि एक व्यक्ति नवहट्टा का था।
बताया जा रहा है कि नरियार के अलावा जिले के दो दर्जन से अधिक लोग जैकेट की फैक्ट्री में काम करते थे। अभी तक परिजनों को अपनों के बारे में जानकारी तक नहीं मिल रही है। मृतक के परिजनों के मुताबिक, नरियार के मो. जुबैर की फैक्ट्री में सभी काम करते थे। स्थानीय होने के कारण लोग उसके साथ दिल्ली चले गए। अधिकांश जैकेट फैक्ट्री में सिलाई-कढ़ाई का काम करते थे। ठंड के कपड़े तैयार करने के लिए लोग जून माह में जाते थे और दिसंबर तक वापस लौट जाते थे। परिजनों के मुताबिक फैक्ट्री का मालिक जुबैर के पिता द्वारा भी पूरी जानकारी नहीं दी जा रही है।
मृतकों की सूची
समस्तीपुर
समस्तीपुर
- साजिद (हरपुर गांव) 26 वर्ष
- वाजिद (हरपुर गांव) 18 वर्ष
- अकबर (हरपुर गांव) 22 वर्ष
- अताउल (हरपुर गांव) 18 वर्ष
- साजिद (हरपुर गांव) 22 वर्ष
- सदरे आलम (हरपुर गांव) 27 वर्ष
- समीउल्लाह (हरपुर गांव) 22 वर्ष
- मन्नान( हरपुर गांव) 30 वर्ष
- मो. महबूब (ब्रह्मपुर गांव)
- मो.खालिद (बेलाही गांव) 10 वर्ष
- मो.एहसान (बेलाही गांव) 16 वर्ष
सहरसा
- फैसल (नरियार) 24 वर्ष
- राशिद (नरियार) 30 वर्ष
- अफजल (नरियार) 18 वर्ष
- सजीम उर्फ इम्तियाज (नरियार) 50 वर्ष
- मो. संजार (नरियार) 19 वर्ष
- ग्यासुद्दीन (नरियार) 21 वर्ष
- मो. अफसाद (नवहट्टा ) 23वर्ष
सीतामढ़ी
- मो. दुलारे (बुधनगरा गांव)
- मो. अब्बास (बुधनगरा गांव)
- मो. गुलाब (बुधनगरा गांव) 38 वर्ष
- सन्नाउल्लाह (बोखड़ा)
- मो. एनुल नदाफ (झिटकी गांव)
अररिया
- मो. अयुब (नया भरगामा )32 वर्ष
- मो. जाहिद (नया भरगामा) 29 वर्ष
मुजफ्फरपुर
- मो. साजिद (उफरोली,कटरा)
- बब्लू ( मुजफ्फरपुर शहर)
बेगूसराय
- नवीन कुमार (छौड़ाही, जाना गांव)
मधुबनी
- मोहम्मद शाकिर (कुलुआही) 32 वर्ष
सुपौल
- मो. माहताब (बेलाही गांव)13 वर्ष