नेपाल के जेन-जी आंदोलन के बाद सुरक्षा अलर्ट: 254 बिहार के फरार बंदियों पर लुकआउट जारी, सम्राट चौधरी बोले— बिना दबाव होगी कार्रवाई
नेपाल में हुए जेन-जी आंदोलन के दौरान वहां की जेलों से फरार हुए बंदियों में 254 बंदी बिहार के बताए जा रहे हैं। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए बिहार सरकार ने इन सभी के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया है। खुफिया विभाग की विशेष शाखा ने फरार बंदियों की सूची जारी करते हुए सभी जिलों की पुलिस को इन्हें तत्काल गिरफ्तार कर कानून सम्मत कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।
खुफिया विभाग के अनुसार, नेपाल की जेलों से कुल 540 भारतीय बंदी फरार हुए हैं। इसके अलावा इनमें चार पाकिस्तानी, 25 चीनी और 16 बांग्लादेशी नागरिक भी शामिल हैं। खुफिया एजेंसियों को आशंका है कि भारत-नेपाल सीमा से सटे होने के कारण बड़ी संख्या में फरार बंदियों ने बिहार में शरण ली हो सकती है।
राज्य के खुफिया विभाग के विदेश प्रभाग ने नेपाल सरकार के आग्रह पर यह सूची जारी की है। फरार बिहार के बंदी पूर्वी चंपारण, पश्चिम चंपारण, सीतामढ़ी, मधुबनी, अररिया, सुपौल, किशनगंज, मुजफ्फरपुर और पटना जिलों के निवासी बताए जा रहे हैं। ये सभी तस्करी, देश विरोधी गतिविधियों, आर्म्स एक्ट समेत अन्य गंभीर मामलों में नेपाल की जेलों में बंद थे।
नेपाल सरकार को आशंका है कि सीमा से सटे इलाकों का फायदा उठाकर फरार बंदी बिहार में छिपे हुए हैं। इसी को देखते हुए लुकआउट जारी किया गया है, ताकि वे किसी अन्य राज्य या देश में भाग न सकें। गिरफ्तारी के बाद भारत-नेपाल संधि के तहत प्रत्यर्पण की कार्रवाई की जाएगी।
डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी का बयान
इस पूरे मामले पर बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि नेपाल में आंदोलन के दौरान फरार हुए बंदियों के संबंध में पुलिस बिना किसी दबाव के विधिसम्मत कार्रवाई करेगी। कानून-व्यवस्था से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
18 जिलों की 27 जेलों से फरार हुए थे 13,591 बंदी
गौरतलब है कि नेपाल में जेन-जी आंदोलन के दौरान आठ और नौ सितंबर को बड़े पैमाने पर जेल ब्रेक की घटनाएं हुई थीं। शुरुआती आकलन के अनुसार 18 जिलों की 27 जेलों से कुल 13,591 बंदी फरार हुए थे। इनमें 964 बाल बंदी भी शामिल थे, जो बाल सुधार गृहों से भागे थे।
आंदोलन के शांत होने और सेना की कार्रवाई के बाद करीब 7,700 बंदियों को दोबारा जेलों में भेजा गया। इसके बावजूद अब भी 6,813 बंदी फरार बताए जा रहे हैं, जिनमें बड़ी संख्या में विदेशी और भारतीय नागरिक शामिल हैं। इसको लेकर भारत-नेपाल सीमा पर सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट मोड में हैं।