एक्सक्लूसिव रिपोर्ट: “उड़ता बिहार” की ओर बढ़ता राज्य — सूखे नशे की गिरफ्त में युवा, लेकिन राजनीति चुप क्यों?
बिहार में वर्ष 2016 में नीतीश कुमार की सरकार ने शराबबंदी लागू की थी, ताकि समाज को नशे की बुराई से मुक्त किया जा सके और महिलाओं के खिलाफ अत्याचार रोका जा सके। लेकिन अब यही कदम बिहार के कम से कम 13 जिलों के लिए ‘आत्मघाती’ साबित हो रहा है। शराबबंदी के बाद सूखे नशे (ड्रग्स, कफ सिरप, सनफिक्स आदि) का प्रचलन तेजी से बढ़ा है। युवा पीढ़ी नशे की गिरफ्त में है, और अभिभावक बेबस।
चुनाव के शोर में गुम गंभीर सवाल
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की सरगर्मी तेज है। भ्रष्टाचार, सड़क, बिजली और बेरोजगारी जैसे मुद्दे सुर्खियों में हैं, मगर सूखे नशे से बर्बाद होती नई पीढ़ी पर कोई दल बात नहीं कर रहा। यह समाज के लिए बढ़ती त्रासदी है।
पटना में 760 लीटर प्रतिबंधित कफ सिरप जब्त
चुनाव से ठीक पहले पटना पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की है। एक बस (BR06PE 7451) से 760 लीटर प्रतिबंधित कफ सिरप — ओनेरेक्स और कोरकफ-सी — जब्त किया गया। चालक विजय पांडेय (वैशाली) और कंडक्टर शंकर झा (मधुबनी) को गिरफ्तार किया गया। 76 कार्टून में ये प्रतिबंधित सिरप छिपाकर ले जाए जा रहे थे।
“उड़ता पंजाब” की राह पर बिहार
स्थानीय लोग और पुलिस अधिकारी कहते हैं, शराबबंदी के बाद सूखा नशा बिहार में तेजी से फैल रहा है। सीमांचल के कई इलाकों में 200–300 रुपये में हेरोइन, स्मैक, ब्राउन शुगर, कोडिन, इंजेक्शन और नशे की गोलियां तक आसानी से मिल रही हैं।
13 जिले सबसे ज्यादा प्रभावित
भागलपुर, बांका, जमुई, लखीसराय, खगड़िया, सहरसा, मधेपुरा, सुपौल, अररिया, किशनगंज, कटिहार और पूर्णिया में युवाओं के नशे की लत की खबरें लगातार आ रही हैं। अभिभावक कहते हैं — “जब तक पता चलता है कि बच्चा नशे का आदी हो गया है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है।”
खुलेआम बिक रहा नशा, रोकना मुश्किल
किशनगंज में स्टेशनरी दुकानों और चाय-पान की गुमटियों में सनफिक्स, कोरेक्स, और अन्य नशीले पदार्थ बिक रहे हैं। महिला पुलिस अधिकारी ने बताया — “अब शराब की तरह कोई तय दुकान नहीं। बच्चे पॉलिथीन में सनफिक्स सूंघते हैं। यह रोकना लगभग असंभव है।”
रेलवे स्टेशन के नीचे नशे का अड्डा
किशनगंज रेलवे स्टेशन के पास फ्लाईओवर के नीचे कई युवक और महिलाएं खुलेआम नशे की सप्लाई करते दिखे। वहां हजारों खाली कोरेक्स की शीशियां बिखरी थीं। युवाओं ने बताया कि उन्हें हेरोइन, अफीम, स्मैक, ब्राउन शुगर, कोडिन और इंजेक्शन सब कुछ आसानी से मिल जाता है।
कोरेक्स सिरप और केमिकल्स का दुरुपयोग
कोरेक्स सिरप, जो मूलतः खांसी की दवा है, अब नशे का माध्यम बन चुका है। बच्चे पंचर बनाने वाले केमिकल्स और लोशन तक सूंघ रहे हैं। यह लत इतनी गहरी है कि इनके बिना बेचैनी और दर्द महसूस होता है।
शराबबंदी ने धकेला दूसरे नशे की ओर
स्थानीय लोग कहते हैं — “शराब की सख्ती ने लोगों को अफीम, स्मैक और कोडिनयुक्त सिरप की ओर मोड़ दिया है।” अब ये दवाएं गांवों की पगडंडियों तक पहुंच चुकी हैं।
‘ऑपरेशन एनडीपीएस’ के बावजूद बढ़ रही सप्लाई
शिवहर के सहायक औषधि नियंत्रक डॉ. सच्चिदानंद विक्रम बताते हैं कि उनके कार्यकाल में 7 महीनों में 22 लोग गिरफ्तार हुए और 1.5 करोड़ रुपये की प्रतिबंधित दवाएं जब्त हुईं। इसके बावजूद नशे के नेटवर्क टूट नहीं पा रहे।
पुलिस बनाएगी दो नई यूनिटें
बिहार पुलिस अब नशे के खिलाफ दो विशेष यूनिट बनाने जा रही है — स्टेट एंटी नारकोटिक कम प्रोहिबिशन ब्यूरो। एडीजी मुख्यालय कुंदन कृष्णन ने बताया कि केंद्र से मंजूरी मिल चुकी है। उद्देश्य है – नशीले पदार्थों की सप्लाई चेन तोड़ना और युवाओं को इस दलदल से बाहर निकालना।
🩸 निष्कर्ष:
बिहार में शराबबंदी के नौ साल बाद, नशे का रूप बदल गया है। अब बोतल नहीं, सिरप और सनफिक्स से उड़ रहे हैं सपने। सवाल यही है — जब पूरा राज्य “उड़ता बिहार” बनने की कगार पर है, तो नेताओं के एजेंडे में यह मुद्दा क्यों नहीं?