पूर्णियां:सिर्फ 48 घंटे में 10 करोड़: हार्डवेयर दुकानदार की गुप्त कमाई.. DSP को भनक लगी तो राजफाश
हार्डवेयर की दुकान चलाता था शख्स
कस्बा थाना के तीनपनिया निवासी रूपेश सालिया, जो रोजाना अपने छोटे से हार्डवेयर दुकान में स्क्रू-नट और पाइप-फिटिंग बेचकर गुजर-बसर करता था, खुद नहीं जानता था कि वह साइबर अपराधियों के जाल में फंस चुका है. बैंक द्वारा संदिग्ध ट्रांजैक्शन की शिकायत साइबर थाना को भेजी गई, जिसके बाद तुरंत मामला डीएसपी चंदन ठाकुर के रडार पर आ गया. साइबर टीम ने जब गहराई से जांच शुरू की, तो पूरा खेल खुलना शुरू हुआ. रूपेश को हिरासत में लेकर पूछताछ की गई, तो उसने बताया कि बंगाल के एक युवक ने खुद को बिजनेस पार्टनर बताते हुए उससे करंट अकाउंट का डिटेल ले लिया था. रूपेश ने यह भी बताया कि उसे ‘ज्यादा कमाई’ का लालच देकर यह अकाउंट साइबर ठगों ने अपने धोखे के लिए इस्तेमाल किया.
किया 10.50 करोड़ का ट्रांजेक्शन
जांच में पता चला कि महाराष्ट्र के एक व्यक्ति को साइबर ठगों ने ‘डिजिटल अरेस्ट’ के नाम पर डराया-धमकाया. उसे बताया गया कि उसकी कॉल किसी अंतरराष्ट्रीय अपराध से जुड़ गई है और जांच के नाम पर उसे तुरंत पैसा एक निर्दिष्ट खाते में भेजना होगा. यही पैसा रूपेश के खाते में भेजा गया. पूरा 10.50 करोड़ रुपये. रूपेश ने अपनी गलती को कबूलते हुए बताया कि वह सिलीगुड़ी जाकर यह पूरी राशि बंगाल के साइबर ठग को नकदी में सौंप आया और बदले में उसे 5 प्रतिशत कमीशन यानी लाखों रुपये मिले. उसे यह समझ नहीं आया कि वह एक बड़े अपराध का हिस्सा बन चुका है.
छापेमारी कर रही पुलिस
डीएसपी चंदन ठाकुर ने बताया कि “डिजिटल अरेस्ट” पूरी तरह फर्जी और साइबर ठगी का तरीका है. कोई भी पुलिस अधिकारी फोन या वीडियो कॉल पर किसी को गिरफ्तार नहीं कर सकता. उन्होंने लोगों को आगाह किया कि लालच और डर के कारण लोग ठगी का आसान शिकार बन रहे हैं. जांच में अब तक कई राज्यों के पांच साइबर अपराधियों की पहचान हो चुकी है और टीम उनकी गिरफ्तारी को लेकर छापेमारी कर रही है.