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Friday, October 17, 2025

बिहार चुनाव: शरद यादव के बेटे शांतनु को RJD ने नहीं दिया टिकट, कहा- राजनीतिक षड्यंत्र हुआ

विधानसभा चुनाव के लिए राजनीतिक पार्टियों की ओर से टिकट बंटवारे में अब तक कई नेताओं की नाराजगी सामने आ चुकी है. दिवंगत नेता शरद यादव के बेटे और बेटी टिकट नहीं मिलने की वजह से नाराज बताए जा रहे हैं.

शरद के बेटे शांतनु को आरजेडी से टिकट मिलने का आश्वासन मिला था, लेकिन अब उन्हें निराशा हाथ लगी है. शरद की बेटी सुभाषिनी जो कि कांग्रेस की राष्ट्रीय सचिव हैं, उन्होंने भी नाराजगी जताई है. शांतनु ने कहा, मेरे खिलाफ राजनीतिक षड्यंत्र हुआ, समाजवाद की हार हुई है.

सुभाषिनी शरद यादव ने बकायदा एक्स पर पोस्ट कर अपनी नाराजगी व्यक्त की है. सुभाषिनी ने कहा है कि जो अपने खून के नहीं हुए, वो दूसरों के क्या सहे होंगे. जो अपने ही परिवार के वफादार नहीं, वो किसी और के लिए कैसे भरोसेमंद हो सकते हैं? यह विश्वासघात की पराकाष्ठा और उनकी असहजता का उत्कृष्ट उदाहरण है. जो षड्यंत्र इन्होंने रचा है, अब वही षड्यंत्र इनके खिलाफ जनता रचेगी.

मधेपुरा सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे शांतनु

दरअसल, शांतनु यादव ने अपने पिता के निधन के बाद से लगातार मधेपुरा सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे. शरद यादव का निधन 12 जनवरी 2023 को हुआ था, तब से शांतनु पिता की सियासत को आगे बढ़ाने में जुटे थे और टिकट की उम्मीद लगाए थे. 2024 के लोकसभा चुनाव में भी वो मैदान में उतरना चाहते थे, लेकिन उस वक्त भी आरजेडी ने उन्हें झटका दे दिया था. तब पार्टी की ओर से उन्हें विधानसभा चुनाव में टिकट का भरोसा दिया गया था.

महागठबंधन में अभी तक टिकटों को लेकर चल रही खींचतान

बिहार में विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान से बाद से टिकटों को लेकर उम्मीदवारों के बीच में खींचतान चल रही है. कई दिनों तक महागठबंधन के नेता असमंजस में रहे क्योंकि सीट शेयरिंग का फॉर्मूला ही तय नहीं हो पाया था. सीटों का आधिकारिक ऐलान तो अभी भी नहीं हो पाया है, लेकिन शामिल दल अपने-अपने टिकट को बांटने में जुटे हुए हैं.

आरजेडी के हिस्से कांग्रेस से दोगुनी सीटें

सूत्रों के मुताबिक, महागठबंधन में सीटों को लेकर अभी तक जो आंकड़े सामने आ रहे हैं उसमें वाम दल को 31, मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी, कांग्रेस 61, इंडियन इन्क्लूसिव पार्टी को 3 सीटों मिली हैं. जबकि बची हुई 136 सीटें आरजेडी के हिस्से में गई हैं. सीट बंटवारे पर नजर डालें तो आरजेडी के हिस्से सबसे ज्यादा सीटें आई हैं. इसका मतलब ये है कि आरजेडी कांग्रेस पर न केवल भारी पड़ी बल्कि बड़े भाई की भूमिका में भी है.