बिहार के खगड़िया जिले के लिए रविवार का दिन ऐतिहासिक बन गया. लंबे संघर्ष और जनसहयोग से बने श्यामलाल चंद्रशेखर मेडिकल कॉलेज को राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) ने 50 एमबीबीएस सीटों की मंजूरी दे दी है.
इस फैसले से खगड़िया और आसपास के जिलों के मरीजों को अब गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए बाहर नहीं जाना पड़ेगा.
जनसहयोग से हुई खगड़िया में स्वास्थ्य क्रांति
खगड़िया जिले के लोगों के वर्षों से चले आ रहे संघर्ष का फल आखिरकार मिल गया. श्यामलाल चंद्रशेखर मेडिकल कॉलेज को 50 एमबीबीएस सीटों की स्वीकृति मिलने के साथ ही जिले को चिकित्सा सेवाओं के क्षेत्र में नई पहचान मिली है.
लोगों का कहना है कि यह सिर्फ एक मेडिकल कॉलेज नहीं, बल्कि जनसहयोग से बनी स्वास्थ्य क्रांति की शुरुआत है. अब खगड़िया का नाम राज्य के मानचित्र पर एक नए आयाम के साथ दर्ज होगा.
यह मेडिकल कॉलेज महादानी श्यामलाल जी द्वारा स्थापित ट्रस्ट की जमीन पर बनाया गया है. मुंगेर प्रमंडल का यह पहला मेडिकल कॉलेज है, जिसने कई उतार-चढ़ाव और कठिन दौर झेलने के बाद मंजिल हासिल की है.
प्रेस वार्ता में धर्मेंद्र ने बताया कि कॉलेज और अस्पताल के निर्माण में सैकड़ों लोगों ने योगदान दिया. उन्होंने नाम गिनाते हुए कहा कि यह संस्था किसी एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि पूरे समाज की मेहनत और सहयोग का नतीजा है.
स्वास्थ्य सेवाओं में आत्मनिर्भरता की ओर
मेडिकल कॉलेज के शुरू होने से खगड़िया और आसपास के जिलों को सबसे बड़ी राहत यह होगी कि अब मरीजों को इलाज के लिए पटना, भागलपुर या अन्य बड़े शहरों का रुख नहीं करना पड़ेगा. स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि “गरीब से गरीब व्यक्ति को भी अब अपने ही जिले में गुणवत्तापूर्ण इलाज मिल सकेगा. यह सुविधा यहां की जनता के लिए वरदान साबित होगी.
डॉ. विवेकानंद की दूरदृष्टि, दृढ़ निश्चय, सामाजिक एकता और ट्रस्ट शिप के सिद्धांत ने इस सपने को साकार करने में अहम भूमिका निभाई. स्थानीय लोगों का मानना है कि यह मेडिकल कॉलेज खगड़िया को स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने की दिशा में ऐतिहासिक कदम है.
जनसहयोग और पारदर्शिता की मिसाल पेश करते हुए इस कॉलेज ने यह साबित कर दिया कि सामूहिक प्रयास से असंभव दिखने वाले सपने भी पूरे किए जा सकते हैं.