खबर के अनुसार सोनू कुमार की पत्नी की दहेज के लिए हत्या कर दी गई थी। लड़की के पिता, तेरस साह ने उस समय थाने में मामला दर्ज करवाया, जिसमें सोनू और उसके 12 रिश्तेदारों के खिलाफ नामजद शिकायत दी गई थी। इस घटना से उस समय गांव में तब मातम पसर गया था।
पिछले छह सालों से यह मामला अदालत और पुलिस फाइलों में चल रहा था। आरोपी परिवार दहशत में जी रहा था कि पता नहीं कब उन्हें ऐसे गुनाह के लिए गिरफ्तार कर लिया जाएगा, जो उन्होंने किया ही नहीं। लेकिन हत्या की इस कहानी में नया मोड़ तब आया जब पुलिस ने जांच के दौरान लड़की को पटना जिले के पुनपुन ओपी क्षेत्र से जिंदा बरामद कर लिया।
लड़की अब तीन बच्चों की मां है और एक अन्य पुरुष के साथ शादी कर सामान्य जीवन बिता रही थी। थानाध्यक्ष दिलीप कुमार और एसआई रबीन्द्र पाल ने उसे डोरीगंज लाकर कोर्ट में पेश किया। बयान में लड़की ने बताया कि उसने अपनी मर्जी से पहला घर छोड़ा था।
इस खुलासे से पूरे गांव में तहलका मच गया। निर्दोष साबित होकर जेल भेजे जाने से बचा सोनू का परिवार भी अब राहत की सांस ले रहा है। लेकिन यह घटना एक बड़ा सवाल छोड़ गई- क्या घरेलू हिंसा और दहेज से जुड़े कानूनों के दुरुपयोग को रोका जा सकता है?