Bihar News: पूर्णिया की रुक्मणी के मोबाइल पर जब यह संदेश आया, तो उसके पैरों तले ज़मीन खिसक गई. घबराहट में उसने बिना सोचे-समझे एक लाख रुपये के करीब की रकम ट्रांसफर कर दी. लेकिन जब भाई से बात हुई, तो सच्चाई सामने आई ना कोई गिरफ्तारी हुई थी, ना ही दुबई पुलिस का फोन असली था. यह सब एक सुनियोजित साइबर फ्रॉड था.

व्हाट्सएप कॉल से भेजा गया फर्जी वीडियो लिंक
पूरा मामला पूर्णिया जिले के अमौर प्रखंड का है. रुक्मणी को व्हाट्सएप वीडियो कॉल पर एक व्यक्ति ने खुद को दुबई पुलिस अफसर बताया. फिर बताया कि उसका भाई सऊदी अरब पुलिस की कस्टडी में है. ‘डिजिटल अरेस्ट’ की बात कहकर उसे मनोवैज्ञानिक रूप से डराया गया और फिर एक QR कोड भेजकर लगभग 94,000 रुपये ट्रांसफर करवा लिए गए.
ठगी का अहसास तब हुआ जब भाई से खुद की बात हुई
फोन काटने के बाद जब रुक्मणी ने घबराकर भाई को कॉल किया, तो वो सुरक्षित और सामान्य स्थिति में था. तब जाकर उसके होश उड़ गए कि उसके साथ साइबर ठगी हुई है.
तीन जिलों में चली छापेमारी, मुजफ्फरपुर से मुख्य साजिशकर्ता गिरफ्तार
24 जुलाई को युवती की शिकायत पर पूर्णिया साइबर थाना में FIR दर्ज हुई. एसपी स्वीटी सहरावत ने जांच की जिम्मेदारी साइबर डीएसपी को सौंपी. पुलिस को बैंक अकाउंट ट्रेस करने पर पता चला कि राशि इंडियन बैंक के पटना शाखा के एक खाते में भेजी गई थी. खाता धारक का नाम अरविंद कुमार मिला, जो मुजफ्फरपुर के कटरा प्रखंड का निवासी है.
1 अगस्त को पुलिस टीम ने मुजफ्फरपुर और दरभंगा में छापेमारी कर तीन लोगों को गिरफ्तार किया अरविंद कुमार, राणा आदित्य (नालंदा निवासी), और एक अन्य आरोपी. इनसे साइबर ठगी के तरीकों और नेटवर्क को लेकर पूछताछ की जा रही है.
सावधानी ही सुरक्षा है, पुलिस की अपील
एसपी स्वीटी सहरावत ने कहा है कि कोई भी संदिग्ध वीडियो कॉल या व्हाट्सएप मैसेज मिलने पर तुरंत पुलिस को सूचना दें. किसी भी परिस्थिति में बिना जांच किए पैसे ट्रांसफर न करें, चाहे सामने वाला खुद को कोई भी अधिकारी क्यों न बताए.