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Friday, May 16, 2025

बिहार में सरकारी टीचर ने ग्रुप में लिखा 'आई लव पाकिस्तान', जिला शिक्षा पदाधिकारी ने किया सस्पेंड

अरविंद कुमार सिंह: सिवान जिले के प्राथमिक विद्यालय रतनपुरा, मकतब, महाराजगंज में कार्यरत शिक्षक नासीर अंसारी ने ऑपरेशन सिंदूर पर टिप्पणी करते हुए जिले के बीआरसी व्हाट्सएप ग्रुप में पाकिस्तान के समर्थन में पोस्ट डाला.

उसकी इस हरकत पर अब आरोपी को निलंबित कर दिया गया है. जिला शिक्षा पदाधिकारी, सिवान ने जांच के बाद यह कार्रवाई की है.

आरोपी ने ग्रुप में लिखा 'आई लव पाकिस्तान'

जिला शिक्षा पदाधिकारी से प्राप्त जानकारी के अनुसार, नासीर अंसारी ने महाराजगंज के बीआरसी व्हाट्सएप ग्रुप में पाकिस्तान के समर्थन में पोस्ट डाला और आई लव पाकिस्तान लिखा. जिसके बाद ऐसे पोस्ट को अनुचित और आपत्तिजनक माना गया. इसकी शिकायत मिलने पर तत्काल जांच शुरू की गई. जांच में समिति ने अंसारी को दोषी पाया, जिसके आधार पर उसे निलंबित कर दिया गया. निलंबन आदेश में कहा गया है कि यह कार्रवाई अनुशासनहीनता और शिक्षा विभाग की गरिमा को ठेस पहुंचाने के कारण की गई है.

अंसारी के खिलाफ आगे भी होगी कार्रवाई: पदाधिकारी

जिला जनसंपर्क पदाधिकारी, सिवान ने बताया कि निलंबन के साथ ही मामले की गहन जांच जारी है. अगर अंसारी के खिलाफ अतिरिक्त सबूत मिलते हैं, तो आगे की कार्रवाई की जाएगी. इस घटना ने शिक्षा विभाग को सोशल मीडिया के उपयोग के लिए दिशा-निर्देश जारी करने पर विचार करने के लिए प्रेरित किया है.

मैसेज भेजने वाले शिक्षक ने क्या कहा?

उधर मैसेज भेजने वाले शिक्षक की प्रतिक्रिया इस मामले में ली गई. इस पर नसीर अहमद ने कहा कि गलती से पोस्ट हो गया है. हालांकि सवाल यह खड़ा हो रहा है कि आखिर एक पढ़ा-लिखा शिक्षक इस तरह का काम कैसे कर सकता है? हिंदुस्तान में रहकर पाकिस्तान को ‘आई लव यू’ कहना देशद्रोह से कम का मामला नहीं है.

किसी ने किया बचाव तो किसी ने कार्रवाई को बताया जरूरी

यह घटना सिवान के शिक्षा विभाग में सोशल मीडिया के दुरुपयोग को लेकर गंभीर सवाल खड़े करती है.. बीआरसी व्हाट्सएप ग्रुप का उपयोग शिक्षकों और अधिकारियों के बीच कार्य-संबंधी सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए किया जाता है. ऐसे में आपत्तिजनक सामग्री पोस्ट करने का मामला विभागीय नियमों का उल्लंघन माना गया. स्थानीय शिक्षक समुदाय में इस घटना को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं हैं. कुछ शिक्षकों का मानना है कि यह कार्रवाई अनुशासन बनाए रखने के लिए जरूरी थी, जबकि अन्य इसे कठोर मान रहे हैं.