- पाकिस्तान में बेनजीर भुट्टो की सरकार में डबाया राम सांंसद रहे थे.
- डबाया राम अब रतिया क्षेत्र के गांव रतनगढ़ में परिवार सहित रहते हैं.
- जीवन यापन के लिए डबाया राम गांव में कुल्फियां और आइक्रीम बेचते हैं.
फतेहाबाद. पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तानी नागरिकों को देश से बाहर जाने के फरमान सुनाया था. ऐसे में वीजा लेकर भारत में रहने वाले पाकिस्तानी अब अपने देश लौट गए हैं. वहीं, हरियाणा के फतेहाबाद में पाकिस्तान के पूर्व हिंदू सांसद दबाया राम का परिवार यहां पर रह रहा है. इस परिवार में छह लोगों को जहां भारत की नागरिकता मिल चुकी है. वहीं, अन्य लोगों ने आवेदन किया है. पूर्व सांसद दबाया राम अब चर्चा में है, क्योंकि वह यहां पर कुल्फियां और आइक्रीम बेचकर अपने परिवार का गुजारा करते हैं.
जानकारी के अनुसार, रतिया क्षेत्र के गांव रतनगढ़ में रहकर रिक्शा पर गांव-गांव जाकर कुल्फियां बचे हुए दबाया राम को देखा जा सकता है. हालांकि, दिव्या राम की कहानी काफी दर्द भरी भी है.
दबाया राम का जन्म पाकिस्तान के पंजाब में 1947 के बंटवारे से करीब 2 साल पहले हुआ था. 1947 के बंटवारे के दौरान उनका परिवार पाकिस्तान में ही रह गया और बचपन और जीवन जैसे-तैसे वहीं बीतने लगा. इस दौरान उन्हें और उनके परिवार पर धर्म परिवर्तन के लिए कई बार दबाव डाला गया, लेकिन उन्होंने अपना धर्म नहीं बदला. साल 1988 में पाकिस्तान में नेशनल असेंबली के लिए चुनाव होने थे और इस चुनाव में वह पाकिस्तान के पंजाब के जिला लोहिया और बखर से निर्विरोध सांसद चुने गए. बाद में उन्होंने पीपुल्स पार्टी की नेता बेनजीर भुट्टो को वोट दिया और बेनजीर भुट्टो पाकिस्तान की प्रधानमंत्री बनीं.
पाकिस्तान में दबाया राम के सांसद बनने के भी मुश्किलें कम नहीं हुई और संयुक्त परिवार में रह रही उनकी रिश्तेदारी की एक बेटी को कुछ कट्टरपंथी लोग उठा ले गए और जबरन विवाह कर लिया. इंसाफ के लिए वे पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट तक गए, लेकिन उन्हें न्याय नहीं मिला. यह बात उन्हें बहुत अंदर तक चुभ गई. कुछ समय बाद उनके परिवार ने पाकिस्तान छोड़ने का मन बना लिया. साल 2000 में वे अपने किसी रिश्तेदार की मृत्यु की रस्म में भाग लेने के लिए 13 परिवार के सदस्यों सहित कुल 35 लोग पाकिस्तान से भारत का वीजा प्राप्त कर रोहतक आ गए और वहीं रहने लगे. बाद में वहां से फतेहाबाद के गांव रतनगढ़ में आकर रहने लगे.

दबाया राम बताते हैं कि उनके सात बच्चों के रिश्ते इंडिया में आने के बाद उनकी बिरादरी में हुए हैं.
दबाया राम बताते हैं कि उनके सात बच्चों के रिश्ते इंडिया में आने के बाद उनकी बिरादरी में हुए और अब उनके आगे बच्चे भी हैं. वे पाकिस्तान वापस नहीं जाना चाहते थे, इसलिए भारतीय नागरिकता प्राप्त करने के लिए राजनीतिक पार्टियों और अन्य लोगों ने उनका काफी सहयोग किया. कुछ समय पूर्व भाजपा सरकार में पाकिस्तान से भारत आए सभी लोगों को भारतीय नागरिकता (सीएए) के तहत आधार कार्ड, राशन कार्ड, और वोटर कार्ड बनाए गए हैं, जिससे उन्हें सभी भारतीय सुविधाएं मिल रही हैं. दबाया राम ने बताया कि वे और उनके परिवार के बच्चे मेहनत मजदूरी करके भी यहां खुशी-खुशी रह रहे हैं क्योंकि भारत में आपसी भाईचारा बहुत है.
दबाया राम ने बताया कि पाकिस्तान में उनके मां-बाप ने उनका नाम देशराज रखा था, लेकिन चुनाव से पहले वोटर कार्ड बनाने आए अधिकारियों ने उनका नाम जबरन दबाया राम कर दिया था. उन्होंने गूगल पर खोजने के बाद पाकिस्तान की नेशनल असेंबली के 1988 की सूची में 40 नंबर पर अपना नाम अल्लाह दबाया के साथ सांसद के रूप में पाया. दबाया राम ने कहा कि उनकी मंशा यही है कि उनके बच्चों को कोई सरकारी नौकरी या रोजगार मिल जाए तो उनके सभी अरमान पूरे हो जाएंगे.
पुलिस ने पूछताछ के लिए बुलाया था
डबाया राम बताते हैं कि अब उनका परिवार 34 सदस्यों का हो चुका है. वह अपने परिवार सहित पिछले 25 साल से भारत की नागरिकता के लिए प्रयासरत हैं तथा अब तक परिवार की दो महिलाओं समेत छह सदस्यों को भारत की नागरिकता मिल चुकी है तथा बाकी 28 सदस्यों ने भी नागरिकता के लिए आवेदन किया हुआ है. डबायाराम अपने परिवार के साथ शुरू में सिर्फ एक माह का वीजा लेकर आए थे, इसके बाद वे साल 2018 तक अपने परिवार का वीजा बढ़वाते रहे हैं. पहले वीजा हर साल बढ़वाना पड़ता था उसके बाद एक साल पांच साल का वीजा मिलने लगा. गौरतलब है कि इनके परिवार को पुलिस ने पूछताछ के लिए बुलाया था. लेकिन फिर वापस भेज दिया.