सहरसा। कोरोना काल के चलते स्कूलों में पठन-पाठन कार्य बंद क्या हुआ कि स्कूली शिक्षकों की मौज हो गई। विशेषकर सरकारी विद्यालयों के शिक्षकों ने स्कूल भी आना छोड़ दिया है जबकि विभागीय आदेशानुसार सभी शिक्षकों को ससमय विद्यालय पहुंचना अनिवार्य है, लेकिन कुछ विद्यालयों को छोड़कर अधिकांश विद्यालय के हेडमास्टर सहित शिक्षक स्कूल में ताला लगाकर विद्यालय से गायब रहते हैं।
इस बाबत लोगों का कहना है कि कोरोना काल में विद्यालय सही से नहीं खुला है। महीना में एक से दो दिन विद्यालय खुलता है और फिर शिक्षक हाजिरी बना गायब हो जाते हैं। यदि कहीं-कहीं विद्यालय खुलता भी तो अकेले प्रधानाध्यापक स्कूल पहुंचते हैं और एक घंटा अपना उपस्थित दर्ज कर निकल जाते हैं। जबकि जिला प्रशासन का सख्त निर्देश है कि सभी शिक्षक विद्यालय पहुंचकर अपनी उपस्थित बनाएंगे। अब सवाल उठता है.कि जब शिक्षक स्कूल ही नहीं आते हैं तो उनकी हाजिरी कैसे बन जाती है। शुक्रवार को नवसृजित प्राथमिक विद्यालय बलुआहा, उत्तरवारी टोला अमरपुर 11 बजे से 12 बजे के बीच बंद रहा। उत्क्रमित मध्य विद्यालय दिधिया जहां 2 बजकर 24 पर मुख्य गेट पर ताला लटका हुआ था। कुछ दूर बाहर प्रधानाचार्य विश्वनाथ अशोक मिले बताया कि विद्यालय में थे स्कूल के कार्य से बगल के गांव गए थे। लेकिन अन्य शिक्षकों के बारे पूछे जाने पर कुछ बताने से इंकार किया। इस संबंध में प्रभारी प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी संजय कुमार ने बताया सभी विद्यालय को खोलना है। सभी शिक्षकों को भी विद्यालय में उपस्थित रहना है। जो भी विद्यालय बंद है या शिक्षक उपस्थित नहीं है उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।