राज्य ब्यूरो, पटना। पटना हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि आखिरकार फर्जी डिग्री के आधार पर कब तक शिक्षकों को कार्यरत रखा जाएगा? इस सवाल का जवाब राज्य सरकार को नौ जनवरी तक देने के लिए कहा गया है l ये वे शिक्षक हैं जिनकी नियुक्तियां 2006 से लेकर 2010-11 के बीच विभिन्न स्कूलों में बड़े पैमाने पर फर्जी डिग्रियों के आधार पर प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालयों के लिए थोक भाव में की गई थीं l
लोकहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मांगा जवाब
मुख्य न्यायाधीश संजय करोल की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय खंडपीठ ने रंजीत पंडित की लोकहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह भी कहा कि जवाब नहीं आने पर यह समझा जाएगा कि सरकार को कुछ नहीं कहना है l राज्य सरकार को यह आखिरी मोहलत दी गई है l
विजिलेंस ने हाथ खड़ा कर लिया है...
फर्जी शिक्षकों की नियुक्ति का जब सवाल हाई कोर्ट में उठाया गया तो विजिलेंस जांच की कार्यवाई शुरू हुई l अधिवक्ता दीनू कुमार ने कहा कि विजिलेंस ने हाथ खड़ा कर लिया है जबकि ऐसे शिक्षकों की संख्या 1,10400 हैl इन कथित शिक्षकों का फ़ोल्डर शिक्षा विभाग विजिलेंस को नहीं सौप रही है l जबकि 2008 में मुख्य सचिव ने कहा था जबतक सर्टिफिकेट की जांच नहीं होगी वेतन नहीं दिया जाएगा l अधिवक्ता कुमार ने अदालत को बताया कि राज्य के स्कूलों में बड़े पैमाने पर फर्जी डिग्री के आधार पर शिक्षक नौकरी कर रहे हैं। ऐसे शिक्षकों की संख्या एक लाख से ज्यादा है। निगरानी विभाग की ओर से कहा गया कि ऐसे अवैध रूप से सरकारी सेवा में बने शिक्षकों के मामले की जांच में बाधा का सामना करना पड़ रहा है। अभी तक उन शिक्षकों का फोल्डर भी पूरे तौर पर उपलब्ध नहीं कराए गए हैं । इस मामले पर अगली सुनवाई आगामी 9 जनवरी को की जाएगी।