बिहार के कई जिलों में 14 मई तक आंधी पानी के आसार हैं। कई जगहों पर धूल भरी आंधी में चल सकती है। मौसम विभाग ने कई जगह ठनका गिरने की भी चेतावनी जारी की है। दरअसल उत्तरी राजस्थान व इसके आसपास के इलाके में चक्रवाती हवा का क्षेत्र बना हुआ है। इसके ऊपर एक ट्रफ लाइन बनी हैं जो उत्तरी राजस्थान से हरियाणा और मध्यप्रदेश के कुछ इलाके से होते हुए उत्तरी चंडीगढ़ तक है।
साथ ही मौसम विज्ञान केंद्र ने पूर्वानुमान किया है कि एक नया पश्चिमी विक्षोभ भी 14 मई से प्रभावी होगा। यह वेस्टर्न हिमालय क्षेत्र को प्रभावित करेगा। इसका बिहार के मौसम और कितना असर पड़ेगा इसे लेकर आगे भी अद्यतन स्थिति बताई जाएगी। रविवार को राज्य के कई हिस्सों में आंधी पानी का अलर्ट जारी किया गया।
देर रात 12.30 बजे समस्तीपुर, सीतामढ़ी, शिवहर, मधुबनी, सहरसा, बेगूसराय, नालंदा , नवादा, शेखपुरा, लखीसराय और दरभंगा में भी 40 से 60 किमी प्रति घंटे की की रफ्तार से आंधी के बाद मध्यम बारिश शुरू हुई। रविवार को पटना के अधिकतम तापमान 34.6 डिग्री रहा। गया का 37, भागलपुर का 36.3 व पूर्णिया का 35.2 डिग्री रहा।
अब पारा न चढ़ा तो कमजोर होगा मानसून
बिहार व इसके सीमावर्ती इलाकों में लगातार सामान्य से नीचे रह रहे तापमान को लेकर मौसम और भूगोल के विशेषज्ञों ने बेहतर मानसून की स्थिति को लेकर चिंता जताई है। विशेषज्ञों का कहना है कि अब अगर 15 दिन तक तापमान की यही स्थिति रहती है तो इस बार मानसून कमजोर पड़ सकता है, जबकि तीन हफ्ते पहले मानसून के बेहतर रहने का पूर्वानुमान मौसम विज्ञान केंद्र की ओर से किया गया था।
भूगोलविद प्रो. रासबिहारी प्रसाद सिंह का कहना है कि इस सीजन में भारतीय भूभाग पर थोड़ा थर्मल इफेक्ट दिखना चाहिए। पछुआ का जोर होना चाहिए, ताकि आने वाले दिनों में मानसून को करंट मिल सके। कम दबाव का क्षेत्र होने के लिए ताप, हवा और अन्य वातावरणीय प्रभाव ज़रूरी होते हैं। उन्होंने कहा कि 24 मई से रोहिणी नक्षत्र की शुरुआत होती है। ऐसे में गर्मी और ताप का लगातार कम रहना मानसून की सेहत को कमजोर भी कर सकता है। हालांकि मौसम विज्ञान केंद्र ने इस बार मानसून से सामान्य से अधिक बरसने का पूर्वानुमान किया है। बिहार में भी इसकी स्थिति बेहतर रहेगी, लेकिन वर्तमान परिस्थितियां यह संकेत करती नहीं दिख रही हैं।