बिहार सरकार राज्य में उद्योग लगाने और विकास कार्यों को तेज करने के लिए लैंड बैंक (भूमि बैंक) बना रही है. इसका मतलब है कि सरकार अपने पास मौजूद खाली और बेकार पड़ी जमीनों को एक जगह दर्ज करेगी, ताकि जरूरत पड़ने पर इन्वेस्टर और विकास परियोजनाओं को आसानी से जमीन मिल सके. यह काम सात निश्चय-3 योजना के तहत किया जा रहा है.
आसान शब्दों में समझिए क्या होगा
- राज्य के हर जिले में अंचल अधिकारी (CO) अपने इलाके की सरकारी जमीनों की पहचान कर रहे हैं.
- जो जमीन खाली पड़ी है, इस्तेमाल में नहीं है या जिस पर अवैध कब्जा है, उसकी सूची बनाई जा रही है.
- जिन जमीनों पर गलत तरीके से कब्जा या जमाबंदी है, वहां से कब्जा हटाने की कार्रवाई होगी.
- खाली कराई गई सरकारी जमीनों को लैंड बैंक में डाला जाएगा.
- बाद में जरूरत के अनुसार यह जमीन उद्योग, फैक्ट्री, सड़क, स्कूल या दूसरी विकास योजनाओं के लिए दी जाएगी.
इससे फायदा क्या होगा?
- बाहर से आने वाले इन्वेस्टर को जमीन ढूंढने में परेशानी नहीं होगी.
- बिहार में नई फैक्ट्रियां और उद्योग लगेंगे.
- स्थानीय लोगों को रोजगार के ज्यादा मौके मिलेंगे.
- सरकारी जमीन का सही और पारदर्शी इस्तेमाल हो सकेगा.
कहां-कहां काम शुरू हुआ है?
यह प्रक्रिया पूरे बिहार में चल रही है. कई जिलों जैसे भोजपुर और किशनगंज में इस पर काम शुरू भी हो चुका है. कुल मिलाकर, सरकार चाहती है कि खाली पड़ी जमीन बेकार न रहे, बल्कि उससे बिहार का विकास हो और लोगों को काम मिले.