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Thursday, November 27, 2025

मधेपुरा के रेल इंजन कारखाने ने पूरे किए 10 साल: 550 सुपर-पावर इंजन बनाकर भारत को दुनिया में छठा स्थान दिलाया

मधेपुरा। मधेपुरा में स्थापित रेल इंजन कारखाना ने बुधवार को अपने 10 वर्ष पूरे किए। इस मौके पर भारतीय रेलवे और फ्रांस की कंपनी एल्सटाम ने उत्तर प्रदेश के सहारनपुर स्थित मेंटेनेंस डिपो में समारोह आयोजित कर जश्न मनाया।

मधेपुरा इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव प्राइवेट लिमिटेड (एमईएलपीएल) में अब तक 12 हजार हार्सपावर क्षमता वाले 550 से अधिक स्वदेशी इलेक्ट्रिक इंजन तैयार किए जा चुके हैं। इतनी क्षमता वाले इंजन बनाने वाले देशों में भारत छठे स्थान पर है, जो महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जा रही है।

एल्सटाम भारतीय रेलवे के साथ पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत मधेपुरा में मालवाहक रेल इंजन का निर्माण करती है। एल्सटाम के अनुसार कंपनी को 12 हजार एचपी क्षमता वाले 800 इलेक्ट्रिक सुपर-पावर्ड डबल-सेक्शन लोकोमोटिव (इंजन) भारतीय रेल को आपूर्ति करनी है, जिनमें लगभग छह हजार टन तक का लोड खींचने की क्षमता हो।

इसके साथ ही कंपनी को 13 वर्षों तक इन लोकोमोटिव के मेंटेनेंस की जिम्मेदारी भी सौंपी गई है। मई 2020 में पहला इंजन व्यावसायिक सेवा में शामिल हुआ था। इसके बाद से उत्पादन और सेवा दोनों ही क्षेत्र लगातार आगे बढ़ रहे हैं।

एल्सटाम इंडिया के प्रबंध निदेशक ओलिवियर लाइसन ने कहा कि मधेपुरा परियोजना मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में मजबूत पहल साबित हुई है। इससे स्थानीय स्तर पर सप्लाई चेन विकसित हुई और दस हजार से अधिक कौशल आधारित नौकरियां तैयार हुईं।

कंपनी ने नागपुर और सहारनपुर में आधुनिक मेंटेनेंस डिपो तैयार किए हैं, जहां उन्नत तकनीक की मदद से इंजनों की निगरानी और देखरेख की जाती है। अब तक नागपुर, सहारनपुर और साबरमती में भारतीय रेलवे के 22 हजार से अधिक कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है।

एल्सटाम की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया कि मधेपुरा का यह प्लांट देश के सबसे बड़े ग्रीनफील्ड रेल निर्माण केंद्रों में माना जाता है। 250 एकड़ में फैला यह परिसर हर वर्ष 120 लोकोमोटिव बनाने की क्षमता रखता है।

सुरक्षा और गुणवत्ता के अंतरराष्ट्रीय मानकों पर यह प्लांट खरा उतरता है। भारतीय रेलवे के साथ एल्सटाम की साझेदारी ने इस क्षेत्र में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर बढ़ाए हैं।

साथ ही कंपनी आसपास के गांवों में शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला सशक्तीकरण और कौशल विकास जैसे क्षेत्रों में निरंतर निवेश कर रही है। इससे यह परियोजना केवल औद्योगिक विकास ही नहीं, बल्कि सामाजिक बदलाव का माध्यम भी बन गई है।