बिहार में ट्रैफिक जाम और सड़क जाम से निपटने के लिए सात नये बाइपास बनाए जाने की तैयारी पूरी हो चुकी है. केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (मॉर्थ) ने इन योजनाओं को मंजूरी दे दी है.
अनुमान है कि मार्च 2026 तक इनका निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा.
डुमरांव, अरवल, दाउदनगर, औरंगाबाद, सिंहेश्वर, समस्तीपुर और वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (वीटीआर) क्षेत्र में बनने वाले ये बाइपास कुल मिलाकर 74 किलोमीटर लंबे होंगे और इन पर लगभग 6040 करोड़ रुपये की लागत आएगी.
डुमरांव बाइपास: जाम से मिलेगी राहत
बक्सर जिले का डुमरांव शहर लंबे समय से ट्रैफिक जाम की समस्या से जूझ रहा है. यहाँ बनने वाला करीब साढ़े पाँच किलोमीटर लंबा बाइपास इस समस्या को काफी हद तक दूर करेगा. यह सड़क एनएच-120 से शुरू होकर पुराने भोजपुर से सटे ओवरब्रिज के पास से गुजरेगी और सीधे पटना-बक्सर एनएच-922 से जुड़ जाएगी.
इसके पूरा होने के बाद शहर के भीतर से गुजरने वाले भारी वाहनों का दबाव कम होगा और आम लोगों को जाम से राहत मिलेगी. फिलहाल इस परियोजना के लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया चल रही है.
अरवल बाइपास: एनएच को मिलेगी सुगमता
अरवल जिले में प्रस्तावित बाइपास की लंबाई 12.8 किलोमीटर होगी. यह एक ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट है, जिस पर लगभग 600 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है. इस बाइपास के बनने के बाद पटना-औरंगाबाद राष्ट्रीय राजमार्ग पर आवागमन सुगम हो जाएगा.
अभी इस मार्ग पर अस्वल-जहानाबाद एनएच-33 और 139 के भगत सिंह चौक पर भारी जाम लगता है. नये बाइपास से इस समस्या से निजात मिलने की उम्मीद है.
दाउदनगर-औरंगाबाद बाइपास: सबसे लंबी परियोजना
दाउदनगर और औरंगाबाद में बनने वाला बाइपास कुल 22.5 किलोमीटर लंबा होगा. फिलहाल इसके लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार की जा रही है. यह बाइपास दोनों शहरों के बीच से गुजरने वाले मौजूदा एनएच पर होने वाले भीषण जाम को कम करेगा.
दाउदनगर और औरंगाबाद के लोग रोजाना जिस ट्रैफिक समस्या का सामना करते हैं, वह इस निर्माण के बाद काफी हद तक खत्म हो जाएगी.
Bihar news: बिहार में सात बाइपास का निर्माण मार्च 2026 से, ट्रैफिक जाम से लोगों को मिलेगी मुक्ति 2
सिंहेश्वर बाइपास: मधेपुरा को मिलेगी नई सड़क सुविधा
मधेपुरा जिले के सिंहेश्वर प्रखंड से गुजरने वाले एनएच-106 पर 11.23 किलोमीटर लंबा बाइपास बनाया जाएगा. यह सड़क सिंहेश्वर प्रखंड स्थित हीरो शोरूम से शुरू होकर रामपट्टी, गौरीपुर, मजरहत, इटहरी गेहूमनी, जजहट सबैला, तुलसीबारी, गोसाई टोला और मानिकपुर होते हुए मधेपुरा प्रखंड के मानिकपुर में वर्षा हॉस्पिटल के पास जाकर खत्म होगी.
इस बाइपास के बनने से न केवल सिंहेश्वर बल्कि मधेपुरा शहर का यातायात भी सुगम होगा.
वीटीआर बाइपास: पर्यटन को बढ़ावा
पश्चिम चंपारण जिले के वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (वीटीआर) इलाके में भी 10.5 किलोमीटर लंबा बाइपास बनने जा रहा है. अभी तक वीटीआर पहुँचने में स्थानीय लोगों और पर्यटकों को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
नए बाइपास से न सिर्फ आवागमन आसान होगा बल्कि पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा. स्थानीय अर्थव्यवस्था पर इसका सकारात्मक असर पड़ने की उम्मीद है.
समस्तीपुर बाइपास: शहर के बोझ को कम करेगा
समस्तीपुर में जितवारपुर के राजघाट से मुसरीघरारी के एनएच-28 तक 11.55 किलोमीटर लंबा बाइपास प्रस्तावित है. इसके बनने के बाद समस्तीपुर शहर के मुख्य मार्गों पर वाहनों का दबाव काफी कम होगा. अभी समस्तीपुर होते हुए बेगूसराय और दरभंगा की ओर जाने वाले वाहनों को लंबा रास्ता तय करना पड़ता है. बाइपास बन जाने पर उनकी दूरी लगभग पाँच किलोमीटर कम हो जाएगी.
लागत और प्रक्रिया
सातों बाइपास परियोजनाओं की कुल लंबाई 74 किलोमीटर होगी और अनुमानित लागत 6040 करोड़ रुपये आएगी. इनमें से ज्यादातर बाइपास फोरलेन होंगे. सूत्रों के अनुसार, डुमरांव और दाउदनगर बाइपास के लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, जबकि अरवल, औरंगाबाद, वीटीआर, सिंहेश्वर और समस्तीपुर बाइपास के लिए डीपीआर तैयार की जा रही है.
डीपीआर पास होने के बाद निर्माण एजेंसियों का चयन होगा और फिर निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा.
जाम से मुक्ति की उम्मीद
बिहार के शहरों और कस्बों में बढ़ते वाहन दबाव के कारण जाम आम समस्या बन गई है. इन सात नये बाइपासों के निर्माण से न केवल लोगों को जाम से राहत मिलेगी बल्कि मालवाहक ट्रकों और बसों की आवाजाही भी सुगम हो जाएगी.
विशेषज्ञ मानते हैं कि इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था, पर्यटन और व्यापार को भी गति मिलेगी.