Kosi Live-कोशी लाइव Bihar Bhumi: बिहार में अब जमीन माफियाओं की आएगी शामत! फर्जी दस्तावेज मिलने पर होगा ये एक्शन… - Kosi Live-कोशी लाइव

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Thursday, August 28, 2025

Bihar Bhumi: बिहार में अब जमीन माफियाओं की आएगी शामत! फर्जी दस्तावेज मिलने पर होगा ये एक्शन…

Bihar Bhumi: बिहार में अब जमीन माफियाओं पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं. राज्य में जमीन माफिया के अवैध कब्जा मामले में फर्जी दस्तावेज पाये जाने पर कार्रवाई होगी. इसके तहत ऐसे मामलों में संदेह होने या मामला पुलिस के संज्ञान में आने पर दस्तावेजों की गहन जांच-पड़ताल की जायेगी. उसे फर्जी पाये जाने पर अन्य आपराधिक मामलों की तरह ही लिया जायेगा.

इस कानून के तहत होगी कार्रवाई

खासकर फर्जी दस्तावेजों और जबरन दूसरों का कब्जा हटाकर प्रवेश करने के अपराध में भारतीय न्याय संहिता और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के प्रावधानों के तहत कार्रवाई की जायेगी. इससे जमीन माफियाओं के प्रयास पर लगाम लगाना संभव हो सकेगा. इस संबंध में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने सभी प्रमंडलीय आयुक्त, आइजी, डीआइजी, समाहर्ता, एसएसपी और एसपी को लेटर लिखा है.

उद्देश्य- जमीन विवादों को दूर करना

सूत्रों के मुताबिक, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग लगातार जमीन से जुड़े दस्तावेजों को अपडेट कराने और इसे आसानी से उपलब्ध कराने के प्रयास में जुटा है. इसका उद्देश्य जमीन विवादों को दूर करना है. इसी को देखते हुए जमीन विवादों का समाधान करने के लिए अंचल अधिकारी और थाना प्रभारियों की हर सप्ताह के शनिवार को अंचल कार्यालयों में बैठक निर्धारित की गई है. ऐसे में जमीन विवाद के एक कारण के रूप में जमीन माफिया की तरफ से जबरन कब्जा करने का मामला भी विभाग के संज्ञान में आया था.

अपर मुख्य सचिव ने लिखा पत्र

जानकारी के मुताबिक, इस मामले में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने अपने लेटर में लिखा है कि जमीन विवाद के मामलों में संगठित अपराध के रूप में कुछ जमीन माफिया भी अलग-अलग जिले में एक्टिव हैं. इसकी जानकारी औपचारिक और अनौपचारिक रूप से जिला और पुलिस प्रशासन को मिलती रहती है.

पुलिस की इस तरह होती है महत्वपूर्ण भूमिका…

अक्सर यह पाया जाता है कि फर्जी दस्तावेजों के आधार पर अवैध रूप से जमीन पर कब्जा का प्रयास या फिर कब्जा दबंग लोगों द्वारा कर लिया जाता है. इस मामले में राजस्व पदाधिकारियों द्वारा निर्णय नहीं लिया जा सके, इसके लिए सिविल न्यायालय में टाइटल सूट दायर कर दिया जाता है. इस प्रकार के मामले में यह पाया गया है कि हर शनिवार को होने वाली बैठक में भी टाइटल सूट दायर होने के कारण कोई ठोस निर्णय नहीं लिया जाता है. ऐसे मामले में पुलिस की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है. जिन मामलों में भी दस्तावेजों के फर्जी होने का प्रथमदृष्टया संदेह हो, उनमें गहन जांच-पड़ताल कर नियम के अनुसार कार्रवाई की जानी चाहिए.