पटना। चुनाव आयोग ने विशेष सघन मतदाता सूची पुनरीक्षण (एसआइआर) के लिए नए मतदाता पहचान पत्र (इपिक) बनाने पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही एसआइआर में भाग नहीं लेने वाले मतदाताओं का मतदाता पहचान पत्र भी एक अगस्त को प्रारूप प्रकाशन के साथ ही अवैध हो जाएगा।
अब नई मतदाता सूची में बूथ बदलने की संभावना है। पहल का मकसद मतदाता सूची को शुद्ध और वास्तविक बनाना है। कोशिश है कि चुनाव में मतदान प्रतिशत में सुधार हो। इसे ध्यान में रखते हुए आयोग ने इपिक बनाने वाली एजेंसियों को भेजे गए आंकड़ों पर काम भी तत्काल प्रभाव से स्थगित करने का निर्देश दिया है।
साथ ही आयोग की कोशिश है कि विशेष सघन मतदाता सूची पुनरीक्षण में भाग लेने वाले व्यक्ति को 15 दिनों के अंदर मतदाता सूची में नाम शामिल कराने के साथ ही इपिक भी उपलब्ध करा दिया जाए। इस काम में तत्काल 77,895 बूथ स्तरीय पदाधिकारी (बीएलओ) लगे हैं।
इसके अलावा नए मतदान केंद्रों के लिए करीब 20,603 नए बीएलओ की नियुक्ति की जा रही है। वर्तमान 7,89,69,844 मतदाताओं में से लगभग 4.96 करोड़ मतदाताओं के नाम 1 जनवरी 2003 की अंतिम गहन पुनरीक्षित मतदाता सूची में पहले से ही हैं। उन्हें केवल इसकी पुष्टि करनी है, गणना प्रपत्र भरना है और उसे जमा करना है। इसके लिए बिहार के 5,74,07,022 पंजीकृत मोबाइल नंबरों पर एसएमएस भेजे जा रहे हैं।
नए स्वयंसेवक जुड़ेंगे
आयोग विशेष पुनरीक्षण के दौरान खासकर बुजुर्ग, बीमार, विकलांग, गरीब और अन्य वंचित समूहों के वास्तविक मतदाताओं के लिए एक लाख से अधिक स्वयंसेवकों की मदद लेने की तैयारी कर रहा है।
इसके साथ ही सभी पंजीकृत मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय राजनीतिक दलों ने अब तक 1,54,977 बूथ स्तरीय एजेंट (बीएलए) नियुक्त किए हैं। संभावना है कि जल्द ही नए बीएलए भी जुड़ जाएंगे।
उल्लेखनीय है कि 25 जून से बिहार के सभी 243 विधानसभा क्षेत्रों में वर्तमान 7,89,69,844 मतदाताओं के लिए नये मतगणना प्रपत्रों की छपाई और घर-घर जाकर वितरण का काम शुरू हो गया है। नये मतगणना प्रपत्रों को ऑनलाइन भरने की सुविधा भी शुरू कर दी गई है। यह प्रक्रिया सफलतापूर्वक चल रही है।