दरभंगा व्यवहार न्यायालय में शुक्रवार को उस वक्त तनाव की स्थिति बन गई, जब एक वकील को हत्या के एक पुराने मामले में न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. यह वही मामला है जिसने वर्ष 1994 में पटोरी गांव को दहला दिया था.
क्या था मामला ?
दरभंगा व्यवहार न्यायालय के जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश सुमन कुमार दिवाकर की अदालत ने 1994 के एक हत्या मामले में आरोपित अधिवक्ता अम्बर इमाम हाशमी को न्यायिक हिरासत में भेज दिया. कोर्ट में पेशी के वक्त उन्होंने अपने ही केस में समय मांगने का आवेदन दिया, जबकि वे उसी दिन दूसरे केस की सुनवाई में व्यक्तिगत रूप से मौजूद थे. अदालत ने इसको गंभीरता से लिया और जमानत रद्द कर गिरफ्तारी का आदेश दे दिया.
कोर्ट ने क्यों लिया इतना बड़ा फैसला ?
कोर्ट का कहना था कि, अगर अधिवक्ता दूसरे केस के लिए खुद उपस्थित हो सकते हैं तो, अपने केस में समय मांगने का कोई कारण नहीं बनता. अधिवक्ता की ओर से स्पष्ट जवाब नहीं मिलने पर अदालत ने यह माना कि वे सुनवाई टालने की कोशिश कर रहे थे. यह मामला पटना उच्च न्यायालय द्वारा समयबद्ध सुनवाई के निर्देशों के तहत चल रहा था, इसलिए कोर्ट ने इस पर सख्त एक्शन लिया.
कब और कहां हुई घटना ?
यह घटना शुक्रवार, दरभंगा व्यवहार न्यायालय परिसर में घटी. जैसे ही गिरफ्तारी का आदेश जारी हुआ, अदालत परिसर में अफरातफरी मच गई और अधिवक्ताओं ने नारेबाजी शुरू कर दी. स्थिति को संभालने के लिए कोर्ट प्रशासन को भारी संख्या में पुलिस बल बुलाना पड़ा.
कौन था घटना के पीछे, कैसे दिया अंजाम ?
हत्या का यह मामला 8 अगस्त 1994 का है, जब पटोरी गांव में भूमि विवाद को लेकर हुई गोलीबारी में रामकृपाल चौधरी की मौत हो गई थी और आठ लोग घायल हुए थे. इस मामले में अंबर इमाम हाशमी सहित कई लोगों को नामजद किया गया था. वर्षों तक मामले को कानूनी पेचों में उलझाए रखा गया. ग्रामीणों का आरोप है कि आरोपी वकील होने के कारण प्रक्रिया को जानबूझकर लंबा खींचा गया. लेकिन, अब अदालत की सख्ती और गिरफ्तारी से केस ने नया मोड़ ले लिया है.
बार एसोसिएशन की बुलाई गई बैठक
दरभंगा बार एसोसिएशन ने इस मुद्दे को लेकर आपात बैठक की और घोषणा की कि, शनिवार को कार्यकारिणी की बैठक में आगे की कार्रवाई तय की जाएगी.
(सुमेधा श्री की रिपोर्ट)