Solar Eclipse 2020: सूर्य ग्रहण 14 दिसंबर को लग रहा है, ग्रहण के वक्त न करें ये काम
ज्योतिषीय शास्त्र के अनुसार, इस सूर्य ग्रहण के दौरान ग्रहों की स्थिति गुरु चंडाल योग बना रही हैं. वहीं पाप ग्रह राहु की दृष्टि देवगुरु बृहस्पति पर है तथा देवगुरु बृहस्पति मकर राशि में शनि के साथ बैठे हुए हैं. ऐसे में जिन जातकों की जन्मपत्री में पहले से ही गुरु चंडाल योग है उन्हें इस सूर्य ग्रहण के दौरान ख़ास सावधानी रखने की आवश्यकता है. सूर्य ग्रहण के दौरान ग्रहों की जो स्थिति बन रही है उससे दिसंबर से लेकर अप्रैल तक उहापोह के हालात बने रहेंगे.
भारत में नहीं दिखाई देगा सूर्य ग्रहण :
यह सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा. इसलिए इस सूर्य ग्रहण का सूतक काल भी नहीं माना जाएगा. यह सूर्य ग्रहण दक्षिण अमेरिका, साउथ अफ्रीका अटलांटिक, हिंद महासागर और प्रशांत महासागर के कुछ भागों में देखा जा सकेगा.
शाम 7:03 बजे से मध्यरात्रि 12 :23 बजे तक रहेगा उपछाया ग्रहण
साल का अंतिम सूर्यग्रहण दक्षिण अमेरिका, साउथ अफ्रीका अटलांटिक, हिंद महासागर और प्रशांत महासागर के कुछ हिस्सों में देखा जा सकेगा। यह ग्रहण 5.20 घंटे तक रहेगा। बिहार सहित भारत में उपछाया ग्रहण होगा। सूर्यग्रहण भारतीय समय के अनुसार सोमवार की शाम 7:03 बजे से शुरू होकर मध्यरात्रि 12 :23 बजे समाप्त होगा।
नहीं लगेगा सूतक, हां इस दौरान इन बातों पर दिया जाता है ध्यान
पटना के ज्याेतिष विशेषज्ञ पंडित शुभम झा कहते हैं कि सूर्य ग्रहण के 12 घंटे पहले सूतक लगता है, लेकिन कल का ग्रहण उपछाया ग्रहण होने के कारण न तो इसका कोई प्रभाव मान्य है, न ही इसका सूतक लगेगा। सूतक वहीं लगता है, जहां ग्रहण दिखता है। वैसे, सूतक काल में भोजन पकाना और खाना वर्जित होता है। इस काल में कोई नया काम आरंभ नहीं करना चाहिए। गर्भवती महिलाओं को चाकू-छुरी आदि धारदार व नोकदार वस्तुओं का प्रयोग नहीं करना चाहिए। इस काल में मूर्ति पूजा और मूर्तियों को छूना भी वर्जित है। हां, तुलसी के पौधे काे स्पर्श करना चाहिए। ग्रहण काल के पहले भोजन व पेय पदार्थों में कुश या तुलसीदल रख देने की मान्यता है।
ग्रहण के दौरान इन बातों का रख जाता है ध्यान
ग्रहण के इौरान श्राद्ध, दान व जप करने से पुण्य मिलता है। सूर्य ग्रहण का सूतक लगने से लेकर ग्रहण के समाप्त हाेने तक मंदिरों में प्रवेश वर्जित माना जाता है। भोजन बनाना व करना मना होता है। हां, बच्चों, बुजुर्गों व बीमार लोगों को फलाहार की छूट दी गई है। ग्रहण की अवधि में गर्भवती महिलाओं के पेट अथवा नाभि पर गाय का गोबर या गेरू का पतला लेप लगाने की भी मान्यता है।