समस्तीपुर। विभूतिपुर प्रखंड क्षेत्र के एक गांव में प्रेमिका के घर प्रेमालाप करते रंगे हाथों पकड़े गए झारखंड के दारोगा जी की शादी गुरुवार रात्रि नहीं हो सकी। कारण, बहुत कम समय में शादी की तिथि सेट कर दिया जाना बताया गया है। हालांकि, प्रेमिका के घर शादी की पूरी तैयारी की जा चुकी थी। दो ग्राम पंचायतों के पंचों ने शर्तों के आधार पर शादी की इस तिथि को टाल दिया है।
शादी करने की तिथि तय करने पर हुआ मुक्त
इस संबंध में बताया जाता है कि झारखंड के रांची जिले में पदस्थापित विभूतिपुर थाना क्षेत्र के वासोटोल गांव निवासी दारोगा यशवंत कुमार गत 28 नवंबर की रात्रि पड़ोस के हीं एक ग्राम पंचायत के एक गांव में अपनी प्रेमिका के घर रंगेहाथ ग्रामीणों द्वारा दबोच लिया गया था। उसने ग्रामीणों के समक्ष प्रेम की कहानी का वाकया स्वीकार की थी। जहां रातभर चले पंचायत के बाद आगामी 10 दिसम्बर को शादी करने की तिथि तय कर बॉन्ड भरकर उसे मुक्त किया गया था। वहां से लौटने के बाद दारोगा बीमार होने का बहाना बनाकर एक निजी क्लीनिक में भर्ती हो गया। जहा से वह चुपके से अपनी ड्यूटी को लेकर रांची चला गया। इसकी भनक लगते ही प्रेमिका के गांव वालों ने उसे न्याय दिलाने को लेकर सक्रियता दिखाई तो दरोगा के परिजनों ने पंचायत की शरण ली। पंचों ने एक लाख का मुचलका जमा करवाकर आगामी 13 तारीख को महापंचायत बुलाने की बात कही है। इसमें गणमान्य लोगों की उपस्थिति होगी। अब, लोगों की नजर रविवार को होनेवाली महापंचायत के फैसले पर जा टिकी है। लड़की पक्ष के पंचायत के उपमुखिया योगेंद्र प्रसाद ने बताया कि पंचों के निर्णय का अनुपालन कराया जाएगा।
लड़की पक्ष से दहेज की रकम जो चाह रहे
सूत्रों की मानें तो दरोगा के परिवार वाले लड़की पक्ष से दहेज की रकम जो चाह रहे है, उसे देने में लड़की पक्ष सक्षम नहीं हो पा रहा है। इसकी आड़ में अपनी जमीन तलाश कर लड़की पक्ष के लोगों का मुंह बंद कराने के लिए मुंहमांगा रकम देने की पहल दारोगा के स्वजन गुपचुप तरीके से करने लगे है। हालांकि, उन्होंने इन आरोपों को साफ इन्कार किया है। इस संदर्भ में पूछे जाने पर अधिवक्ता रंजीत कुमार ने बताया कि ग्रामीणों की पकड़ से बाहर निकलने के लिए दारोगा ने जो बॉन्ड बनाया था। अगर, उसे पूरा नहीं किया गया तो कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जायेगा। कानून और समाज इस तरह के संबंधों की मान्यता नहीं देती है।
विभूतिपुर थानाध्यक्ष कृष्ण चंद्र भारती ने कहा कि इस घटना को लेकर झारखंड के रांची से कई बार विभागीय फोन आया था। मामले की जानकारी मांगी गई। साथ हीं आवश्यक कार्रवाई के लिए लिखने को कहा गया है। बहरहाल, पुलिस से बाहर सामाजिक मामला बताकर टाल दिया गया है। अगर, कोई मामला बनता है तो पुलिस कार्रवाई करने से गुरेज नहीं करेगी।