Kosi Live-कोशी लाइव सुपौल: अपनी माटी की अपनी खुशबू है साहब। - Kosi Live-कोशी लाइव

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Wednesday, May 13, 2020

सुपौल: अपनी माटी की अपनी खुशबू है साहब।


सुपौल: अपनी माटी की अपनी खुशबू है साहब। रोजी-रोजगार ने भले ही परदेशों में जिदगी काटने को बेबस कर दिया था, लेकिन अपनी माटी वाली बात अन्यत्र कहां है। पहले महीनों बाहर रहते थे तो जरा भी महसूस नहीं होता था, लेकिन इस कोरोना के संक्रमण काल में लगा कि अपनी जन्मभूमि अपना घर क्या होता है। ये उद्गार है श्रमिक एक्सप्रेस से मंगलवार की रात सुपौल स्टेशन पर उतरे टेंगराहा गांव के राजकिशोर का। उसने कहा कि जहां मैं काम करता था वहां कोई बहुत परेशानी नहीं थी। उनलोगों ने रोका भी कि सबकुछ सामान्य होने दो फिर घर के लोगों से मुलाकात के लिए जाना, लेकिन इस दौर में पता नहीं अपनी माटी की याद बहुत सताने लगी।
बस ठान लिया कि नहीं अब नहीं, अब अपने ही गांव में रहना है और वहीं जीने की गुंजाइश लगानी है। कौन सा रोजगार करने की सोचा है, के सवाल पर कहा कि अभी गांव पहुंचेंगे फिर कुछ तय करेंगे। वैसे नहीं कुछ तो अपनी खेती तो है न साहब। अकेले राजकिशोर नहीं थे जिनकी ये भावना थी, बल्कि रामाशीष, जगदेव, रवींद्र, तारणी, गणेशी, सत्यनारायण ने भी अब अपने गांव में ही रहने का मन बना लिया है।

इनलोगों ने बताया कि भले पैसा परदेश में अच्छा हो जाता है, लेकिन सुकून नहीं मिलता। माटी की ये खुशबू और कहीं नहीं मिल पाती। यहां पहुंचने के बाद 14 दिनों तक अपने घर जाने का मौका तो नहीं मिल पाएगा के सवाल पर उनका जवाब था कि कोई बात नहीं है। जब बाहर थे तो मन में अनिश्चितता व असुरक्षा का भाव था।

अब तो लग रहा है कि घर आ गए। क्वारंटाइन तो नियमों के तहत किया ही जाना है, जो स्वास्थ्य और सुरक्षा की दृष्टिकोण से निहायत जरूरी है। मजदूरों ने अपनी माटी को नमन किया और प्रशासनिक व्यवस्था के तहत अपने प्रखंडों की ओर चल पड़े।