राज्य ब्यूरो, पटना। अपने अंतिम हफ्ते के करीब पहुंच चुके लाकडाउन को पूरी तरह से खत्म किए जाने के निर्णय पर बिहार भी असहमति जता सकता है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस संबंध में विशेषज्ञ और चिकित्सकों से परामर्श कर रहे हैं। दो-तीन दिनों के भीतर इस बाबत वह विशेषज्ञ चिकित्सकों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग भी कर सकते हैं।
इसके बाद सरकार के स्तर पर आधिकारिक रूप से लाकडाउन को विस्तारित किए जाने के मसले पर वक्तव्य आ सकता है। सरकार के स्तर पर इस बात पर सीधी सहमति है कि फिलहाल ट्रेन व हवाई सेवा सहित पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर पूरी तरह से पाबंदी रहे।
सरकार के स्तर पर यह विश्लेषण किया गया है कि लाकडाउन की वजह से बिहार में स्थिति बहुत हद तक नियंत्रित हुई है। लोग अनुशासित भी रहे हैं। लाकडाउन अगर अचानक से खत्म होता है तो भीड़ तेजी से बाहर आएगी। सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जी उड़ जाएगी और ऐसे में स्थिति को नियंत्रित करना सरकार के बूते की बात नहीं रहेगी। विशेषज्ञों का कहना है कि सोशल डिस्टेंसिंग इसलिए भी जरूरी है कि संक्रमण अगले चरण में प्रवेश नहीं करे।
सरकार के स्तर पर यह विमर्श चल रहा है कि लाकडाउन उन जिलों में तो एकदम खत्म नहीं की जाए जहां से मामले अधिक अाने की संभावना है। एक तरह से बिहार के लिए वे जिले हॉटस्पॉट के रूप में चिन्हित होने की प्रक्रिया में हैं। देश के बाहर खासकर हाल में खाड़ी देशों से अाए लोगों की संख्या वहां अधिक रही है। एहतियात के तौर इन जिलों में लोगों को अगले पंद्रह दिनों तक और घर में रहने को कहा जा सकता है।
राज्य सरकार के स्तर पर इस बात को लेकर भी विमर्श चल रहा है कि अगर लाकडाउन में व्यावसायिक प्रतिष्ठान खोलने की अनुमति मिलती है तो सरकार अपने स्तर से यह व्यवस्था कर दे कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट को अभी अनुमति नहीं दी जाए।