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बेगुसराय। कोरोना वायरस के कहर ने सभी लोगों को अस्त-व्यस्त कर दिया है। जिसमें सबसे अधिक परेशानी मजदूर वर्ग के लोगों को हो रही हैं। घर से बाहर रह रहे मजदूरों को काम करने वाले मालिक ने जगह खाली कर घर चले जाने को कहा। अब घर जाने के लिए ना बस चल रही है ना ट्रेन, तो लोग घर जाएं कैसे। मजबूरी में अब लोग सैकड़ों किलोमीटर की यात्रा पैदल ही करनी शुरू कर दी है। इसी तरह का नजारा गुरुवार को बेगूसराय में एनएच-31 पर देखा गया।
जहां की मधेपुरा के चार युवक पटना से ही पैदल दो सौ दस किलोमीटर दूर अपने गांव जा रहे थे।
बेगुसराय। कोरोना वायरस के कहर ने सभी लोगों को अस्त-व्यस्त कर दिया है। जिसमें सबसे अधिक परेशानी मजदूर वर्ग के लोगों को हो रही हैं। घर से बाहर रह रहे मजदूरों को काम करने वाले मालिक ने जगह खाली कर घर चले जाने को कहा। अब घर जाने के लिए ना बस चल रही है ना ट्रेन, तो लोग घर जाएं कैसे। मजबूरी में अब लोग सैकड़ों किलोमीटर की यात्रा पैदल ही करनी शुरू कर दी है। इसी तरह का नजारा गुरुवार को बेगूसराय में एनएच-31 पर देखा गया।
बुधवार की सुबह पटना से चले इन लोगों ने 25-26 घंटे में 120 किलोमीटर की यात्रा कर ली और बेगूसराय पहुंचे, अब मधेपुरा करीब 80 किलोमीटर बचा हुआ है और उन्हें उम्मीद है कि कल तक अपने घर पहुंच जाएंगे। इनमें से एक राजीव ने बताया कि वह सब पटना में मजदूरी करते हैं। लॉकडाउन होने के बाद मालिक ने काम करवाने से मना करते हुए रहने भी नहीं दिया और मंगलवार को सभी को अपने घर चले जाने को कहा, लेकिन कोई सवारी ही नहीं मिली। इसके बाद बुधवार की सुबह अपने घर के लिए रवाना हो गए एनएच के रास्ते पैदल चलना शुरू कर दिया।
युवकों ने बताया कि लगातार चलने में परेशानी तो हो रही है, लेकिन क्या करें मजबूरी है। घर के लोग भी परेशान हैं बस उम्मीद ही है कि जहां कहीं मोबाइल डिस्चार्ज हो जाता है तो एक दूसरे की मदद से अपने घर वालों से लगातार संपर्क में हैं तथा शुक्रवार की शाम तक घर पहुंच जाएंगे। इन लोगों का कहना है कि ऐसी हालत हो गई है कि अब बाहर जाकर मजदूरी नहीं करेंगे। अपने गांव में और गांव के आसपास में ही काम खोजेंगे, यहीं काम करेंगे तो हालत कुछ भी होगी घर में रहेंगे।
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