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छातापुर में तीन दिवसीय कबीर मत सत्संग का समापन, संतों ने मानवता और सर्वधर्म समभाव का दिया संदेश
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कोशीलाइव | छातापुर (सुपौल) से पप्पू मेहता की रिपोर्ट
छातापुर प्रखंड मुख्यालय स्थित मध्य विद्यालय परिसर में आयोजित तीन दिवसीय कबीर मत सत्संग का विधिवत समापन हो गया। समापन अवसर पर आयोजकों की ओर से आए हुए संत-महात्माओं को माला पहनाकर और साल ओढ़ाकर सम्मानपूर्वक विदाई दी गई। कार्यक्रम के दौरान भीषण ठंड के बावजूद श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी रही।
समापन सत्र को संबोधित करते हुए संत मनमोहन साहेब ने कबीर साहेब के विचारों को विस्तार से रखा। उन्होंने कहा कि जब परमात्मा या प्रकृति किसी से भेदभाव नहीं करती तो मानव-मानव में भेद क्यों? कबीर साहेब कहते हैं— “ना हिंदू बनेंगे, ना मुसलमान बनेंगे, इंसान की औलाद हैं, इंसान बनेंगे।” उन्होंने कहा कि सभी धर्मों के लोग एक ही परम पिता परमेश्वर की संतान हैं और मानवता ही सबसे बड़ा धर्म है। मनुष्य को यह समझना चाहिए कि वह कौन है, कहां से आया है और कहां जाना है। शरीर नश्वर है, अंत में केवल कर्म ही साथ जाते हैं।
संत मनमोहन साहेब ने सनातन धर्म के मूलमंत्र “मातृ देवो भव, पितृ देवो भव” पर जोर देते हुए कहा कि जिस परिवार में माता सुरक्षित नहीं होती और पिता का सम्मान नहीं होता, वह घर नर्क के समान बन जाता है। उन्होंने कहा कि कबीर विचार मंच ही ऐसा मंच है जो सनातन संस्कृति और मानव कल्याण की भावना को आगे बढ़ाता है।
रानी पतरा, पूर्णिया से आए संत जयस्वरूप साहेब ने कहा कि आज के समय में वैचारिक, पारिवारिक, सामाजिक और राजनीतिक विषमता ही मानव दुखों का मुख्य कारण है। सच्चा सुख और शांति पाने के लिए कबीर साहेब के समतावादी और यथार्थवादी विचारों को अपनाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि जब जन्म की प्रक्रिया एक है तो वर्णभेद का कोई औचित्य नहीं है। उन्होंने बांग्लादेश में एक हिंदू की पीट-पीटकर हत्या और जलाने की घटना पर गहरी चिंता भी जताई।
मधेपुरा से आए संत असंगस्वरूप साहेब ने कहा कि मन को स्वस्थ रखने के लिए संतों की वाणी और तन को स्वस्थ रखने के लिए योग-प्राणायाम जरूरी है। कार्यक्रम का संचालन संत उपेंद्र साहेब ने किया। इस दौरान भजन-कीर्तन और सुमधुर गीतों का सिलसिला चलता रहा।
आगत श्रद्धालुओं के लिए तीनों पहर भंडारे की व्यवस्था की गई थी। आयोजन को सफल बनाने में बैजनाथ बाबा के नेतृत्व में उपेंद्र भगत, हीरालाल साह, विजेंद्र उर्फ बौआ मंडल, अरुण बहरखेर, रामलखन पासवान, पवन कुमार ठाकुर, बिनोद भगत, संजीव सहनी, सकलदेव राम सहित बड़ी संख्या में स्थानीय नागरिकों ने सक्रिय भूमिका निभाई।