गोपालपुर, नवगछिया के आदर्श मध्य विद्यालय, धरहरा में पढ़ने वाली छात्रा को शिक्षक ने मामूली गलती पर पहले 101 बार उठक-बैठक करवाने का हुक्म दिया। बच्ची ने गिड़गिड़ाकर, रो-रोकर कहा—सर, नहीं हो रहा…लेकिन शिक्षक का दिल न पसीजा। उसने तो जैसे जुल्म की हद ही पार कर दी… 101 बार और करने को कह दिया।
थकान से टूटी बच्ची जैसे ही उठक-बैठक कर रही थी, अचानक उसकी आँखें उलट गईं, शरीर ढीला पड़ गया और वह बेहोश होकर जमीन पर गिर पड़ी। ग्रामीणों का कहना है कि जब उसके मुंह से झाग निकलने लगा तब भी शिक्षक ने फौरन सजा रोकने की जहमत नहीं उठाई। क्लासरूम में मौजूद बच्चों में कोहराम मच गया।
परिजन जब पहुंचे तो बच्ची की हालत नाजुक थी। पहले घर ले जाकर होश में लाने की कोशिश हुई, लेकिन तबीयत और बिगड़ी तो उसे नवगछिया अनुमंडल अस्पताल पहुंचाया गया। डॉक्टरों ने स्थिति गंभीर देखते हुए तुरंत भागलपुर रेफर कर दिया।
परिजनों का आरोप तूफ़ानी है कि आज हमारी बच्ची को उठक-बैठक करवाते-करवाते बेहोश कर दिया… मुंह से झाग निकल रहा था, फिर भी किसी को तरस नहीं आया! परिवार ने स्कूल प्रशासन पर भी लापरवाही का संगीन आरोप लगाया है। उनका कहना है कि प्रभारी प्रधानाध्यापिका ने मामले को हल्के में लिया और कहा कि बच्ची को घर ले जाइए… लेकिन घटना की रिपोर्ट नहीं की।
उधर, विद्यालय प्रशासन का कहना है कि पूरे मामले की जांच चल रही है और दोषी शिक्षक पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। परिजनों ने थाने में लिखित शिकायत भी दे दी है। अनुशासन जरूरी है… लेकिन अमानवीय दंड किसी भी हाल में मंज़ूर नहीं। अब देखना यह है कि क्या इस दिल दहला देने वाले मामले में जिम्मेदारों पर कड़ी कार्रवाई होती है, या फिर यह भी फाइलों की धूल में दब जाएगा…