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Sunday, November 9, 2025

News Desk:भगवान के बाप की भी औकात नहीं...ये क्या बोल गए पप्पू यादव? सोशल मीडिया पर मचा बवाल

बिहार की राजनीति में एक बार फिर सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव के बयान ने भूचाल ला दिया है। एक टीवी इंटरव्यू के दौरान दिए गए उनके आपत्तिजनक और उत्तेजक शब्दों ने न केवल राजनीतिक गलियारों में बहस छेड़ दी है बल्कि धार्मिक मान्यताओं को लेकर भी बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है।

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इंटरव्यू में पप्पू यादव ने कहा, "निर्दलीय सांसद बनना भगवान के बाप की भी औक़ात नहीं।" उनके इस कथन को लेकर विपक्षी दलों ने जहाँ इसे धार्मिक भावनाओं पर चोट बताया, वहीं सोशल मीडिया पर लोगों ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी है।

धार्मिक टिप्पणी पर मचा हंगामा

वार्ता के दौरान पप्पू यादव ने भगवान कृष्ण और भगवान शिव के संदर्भ में कई बयान दिए। उन्होंने कहा, "आप शंकर जी को भगवान मानते हैं? मैं मानता हूँ कि शंकर ही सनातन धर्म की आत्मा हैं।" जब एंकर ने इस पर आपत्ति जताई, तो यादव ने पलटकर कहा कि "मैं किसी का अपमान नहीं कर रहा, लेकिन झूठे भगवान पैदा करने वाले कुकुरमुत्ते हो गए हैं।"

उनके इस वक्तव्य के सोशल मीडिया पर वायरल होते ही कई यूजर्स ने इसे सनातन धर्म के अपमान से जोड़ते हुए माफी की मांग की है।

पप्पू यादव ने अपने इंटरव्यू में धर्म, ईश्वर और समाज के संबंध में कई दार्शनिक मगर विवादास्पद बातें कहीं। उन्होंने कहा कि ईश्वर की शक्ति प्रकृति से निर्देशित होती है, "गॉड गाइड बाय नेचर एंड नेचर गाइड बाय गॉड" यानि ईश्वर का मार्गदर्शन प्रकृति करती है और प्रकृति का ईश्वर। उनका कहना था कि यदि आप किसी पत्थर में देवत्व देखते हैं तो वही देव है, वरना मात्र पत्थर।

उन्होंने झूठे देवताओं के निर्माण की प्रवृत्ति पर हमला करते हुए कहा कि "लोग कुकुरमुत्ते की तरह भगवान बना लेते हैं।" यादव का तर्क था कि आस्था का आधार सत्य और विवेक होना चाहिए, न कि अंधविश्वास।

शिव और कृष्ण पर भी की टिप्पणियाँ

पप्पू यादव के अनुसार, भगवान कृष्ण किसी दैवीय शक्ति नहीं बल्कि एक महान कर्मयोगी और ऐतिहासिक व्यक्तित्व थे। वहीं, उन्होंने भगवान शंकर को सनातन धर्म का मूल तत्त्व बताया। उन्होंने कहा कि "शंकर ही सनातन धर्म की आत्मा हैं, वे ही सबसे बड़े आराध्य हैं।"

बातचीत में यादव ने विश्वास और विज्ञान के बीच रेखा खींचते हुए कहा कि मानव इस धरती पर लगभग सवा लाख वर्ष पहले आया और यह प्रकृति ही थी जिसने हमें यहां लाया। उन्होंने उल्लेख किया कि "वसुधैव कुटुंबकम" का विचार मानव सभ्यता के शुरुआती काल से अस्तित्व में था साक्षात्कार के अंत में उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि रुद्राक्ष को लेकर पहले उनका मज़ाक उड़ाया गया था, लेकिन वे अपने विश्वास पर कायम हैं।