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Thursday, May 22, 2025

SAHARSA/बैजनाथपुर थानाध्यक्ष को एसपी ने किया लाइन हाजिर

सहरसा एसपी ने बैजनाथपुर थानाध्यक्ष को निलंबित करते हुए लाइन हाजिर कर दिया। थानाध्यक्ष अमर ज्योती के खिलाफ जबरदस्ती रंगदारी पूर्वक फंसाने का आरोप लगाते हुए मारपीट कर अवैध रूप से रूपया लेने के मामले में एसपी को शिकायत किया गया था।

जिसकी जांच सदर एसडीपीओ आलोक कुमार को दी गई थी। सदर एसडीपीओ के जांच पर कार्रवाई की गई। है। मधेपुरा जिले के परमानंदपुर पथराहा निवासी अविनाश कुमार ने एसपी को आवेदन देकर बताया था कि वह पटना में रहकर बीपीएससी का तैयारी करता है। बीते तीन मई को राज्यरानी ट्रेन से पटना से सहरसा घर आ रहे थे।

करीब सवा पाँच बजे शाम सहरसा रेलवे स्टेशन पर पहुँचा। सहरसा से मधेपुरा ट्रेन का टिकट लिया।प्लेटफॉर्म तीन पर मधेपुरा जाने वाली ट्रेन का इंतजार करने के दौरान अचानक 5-6 अनजान व्यक्ति मेरे पास आए और पकड़ कर चार नम्बर प्लेटफॉर्म तरफ ले गया। मोबाइल भी ले लिया। जब उसे बोला कि मेरा ट्रेन छूट जाएगा। आपलोग हमको कहां ले जा रहे हैं। सभी व्यक्ति दबाव देकर बोल रहा था कि तुम्हारे पास कितना है। मैं डर गया और बातों को समझ नहीं रहा था। तब तक ट्रेन मधेपुरा के लिए खुल चुकी थी। मैं काफी डर गया। सभी व्यक्ति स्टेशन पर से पैदल बाहर लेकर चला गया। प्रशांत मोड़ से आगे रूककर सभी व्यक्ति ठंडा-पानी पीने लगा। इसी बीच एक व्यक्ति मोबाइल से फोन करके स्कॉर्पियो गाड़ी मंगवाया।जिसमें अंदर से पुलिस का बोर्ड लगा हुआ था।मुझे लगा कि पुलिस वाले हैं तो एक व्यक्ति से पूछा कि आप लोग कौन है, कौन थाना से हैं। इसपर वह व्यक्ति बोला कि मैं मुकेश पासवान हूँ। मेरे साथ बैजनाथपुर थानाध्यक्ष अमर ज्योति बाबू हैं।एक रूपेश है और अन्य लोग हैं। इसके बाद थानाध्यक्ष से कहा कि मुझे क्यो पकड़ कर लाए हैं। मैं पटना में पढ़ाई करता हूँ। इस पर उन्होंने कहा कि गाड़ी पर बैठो तुमको थाना पर बतायेंगे तुम क्या करता है। इसके बाद मुझे जबरदस्ती गाड़ी में बैठाया। बड़ा बाबू एवं मुकेश पासवान, रूपेश एवं अन्य व्यक्ति गाड़ी में बैठ कर वैजनाथपुर की तरफ चल दिये। मुझे लगभग तीन घंटा गाड़ी में बैठाकर बैजनाथपुर चौक से आगे मुसहनियाँ, पथराहा की ओर ले गयेगाड़ी में गाली-ग्लोज एवं प्रताड़ित किया जा रहा था। कहा जा रहा था कि एक लाख रूपया दो नहीं दोगे तो तुम्हारे बैग में कौरेक्स एवं पाऊडर दिखाकर जेल भेज देगे। जिसके बाद थाना लाकर एक कमरे में बंद कर दिया गया। एक घंटे बाद बाहर निकाल कर बेरहमी से मारपीट करते हुए परिजनों से एक लाख मंगाने के लिए कहा जा रहा था। जिसके बाद पीड़ित द्वारा परिजनों से सम्पर्क किया गया। परिजनों के आने पर थानाध्यक्ष द्वारा बताया गया कि मामला डीआईयू का है। कुछ रूपया डीआईयू सिपाही को भी देना होगा। जिसके बाद मेडिकल कालेज समीप पिताजी ने 29 हजार रुपये नगद और दिए गए दो पेफोन नंबर पर पिताजी के दोस्त मो सद्दाम द्वारा 50 हजार रुपये भुगतान किया गया। जिसके बाद मुझे छोड़ा गया। लेकिन मोबाइल फोन रख लिया गया।जानकारी हो की निलंबित थानाध्यक्ष के खिलाफ पहले भी कई आरोप की जांच जारी है।