: पटना. केंद्र सरकार ने संपत्ति के ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन को अनिवार्य बनाने और दस्तावेजों के डिजिटल संरक्षण को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण विधेयक का मसौदा तैयार किया है.
यह प्रस्तावित कानून 117 साल पुराने रजिस्ट्रेशन अधिनियम (Registration Act) की जगह लेगा. ग्रामीण विकास मंत्रालय के अंतर्गत भूमि संसाधन विभाग ने इस मसौदे को जनता की राय के लिए जारी किया है.
देश भर में एक जैसा होगा कानून
वर्तमान रजिस्ट्रेशन अधिनियम देशभर में लागू है, लेकिन बिहार सरकारों को इसमें संशोधन करने का अधिकार है. इसके लिए हालांकि केंद्र से परामर्श जरूरी है. कई राज्यों ने पहले ही कानून में संशोधन कर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की अनुमति दी है. इसी को ध्यान में रखते हुए केंद्र ने एक व्यापक कानून लाने का निर्णय लिया है, जो पूरे देश में समान रूप से लागू हो सके. मसौदा विधेयक के तहत अब एग्रीमेंट टू सेल, पावर ऑफ अटॉर्नी, सेल सर्टिफिकेट और इक्वि टेबल मॉर्गेज जैसे दस्तावेजों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य
कर दिया जाएगा.
आधार आधारित सत्यापन जरूरी
सरकार ने आधार आधारित सत्यापन प्रणाली को भी प्रस्तावित किया है, जिसमें नागरिकों की सहमति आवश्यक होगी. जो लोग आधार नंबर साझा नहीं करना चाहते उनके लिए वैकल्पिक सत्यापन की व्यवस्था भी की जाएगी. यह कदम धोखाधड़ी और फर्जीवाड़ा कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास माना जा रहा है. साथ ही, सरकार इलेक्ट्रॉनिक रजिस्ट्रेशन प्रमाणपत्र और रिकॉर्ड के डिजिटल रख रखाव की भी अनुमति देने जा रही है. अब दस्तावेजों की ई-प्रस्तुति और रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया ऑनलाइन माध्यम से संभव होगी.
विधेयक पर जनता से ली जायेगी राय
भूमि संसाधन विभाग ने एक बयान में कहा, "हाल के वर्षों में तकनीक का बढ़ता उपयोग, बदलते सामाजिक-आर्थिक व्यवहार और पंजीकृत दस्तावेजों पर बढ़ती निर्भरता ने एक आधुनिक और भविष्य उन्मुख रजिस्ट्रेशन प्रणाली की आवश्यकता को रेखांकित किया है." विभाग ने इस मसौदे पर आम जनता से भी राय मांगी है. जनता की राय के बाद विधेयक में जरूरी संशोधन कर अगले सत्र में सदन के पटल पर रखने की संभावना है.