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केंद्रीयकारा समेत कोसी और सीमांचल के साथ उपकारा में बंद पांच साल के सजायाफ्ता कैदी को कोरोना वायरस के मद्देनजर पैरोल पर रिहा किया जाएगा। इस मामले को लेकर कारा प्रबंधन के द्वारा जेल में बंद ऐसे कैदियों का डाटा तैयार किया जा रहा है और उसके क्रियाकलाप समेत जेल के अंदर उनके रहन-सहन आदत और चरित्र के बारे में भी पता लगाया जा रहा है।
बताया जाता है कि ऐसे कैदी जिनका जेल मैनुअल के अनुसार आदत ठीक है और किसी भी तरह की शिकायत नहीं आई है और उनके ऊपर अलग से किसी तरह का कोई मामला दर्ज नहीं हुआ है। ऐसे कैदियों को चिन्हित कर पैरोल पर रिहा किया जाएगा। लेकिन उनका पांच साल का ही सजा होनी चाहिए। ऐसे कैदी पेरोल रिहा होने के बाद बकायदा स्थानीय पुलिस नजर भी रखेगी ताकि वह दोबारा अपराध की घटना को अंजाम नहीं दे पाए।
स्टेट कमिटी करेगी इस मामले पर विचार
इस तरह की सूचना मिलने के बाद केंद्रीय कारा में बंद ऐसे कैदियों में उत्साह का माहौल है और वह खुशी से झूम उठे हैं कि अब उन्हें जल्द ही जेल से बाहर कर दिया जाएगा। स्टेट कमिटी करेगी इस मामले पर विचार कारा अधीक्षक इंजीनियर जितेंद्र कुमार ने बताया कि कारा प्रबंधन पटना के द्वारा 5 साल के सजयाफ्ता कैदी की सूची मांगी गई है। उन्होंने बताया कि इस मामले को लेकर अंतिम निर्णय स्टेट कमेटी के सदस्यों को करना है। उन्होंने बताया कि ऐसे कैदियों की सूची के साथ उनके आदत समेत कई अन्य जानकारी भेजी जाएगी । ताकि कमिटी उन पर विचार विमर्श कर सकें । उन्होंने बताया कि अपराधिक प्रवृत्ति के ऐसे कैदी जिन्होंने 5 साल जेल में रहने के दौरान भी कई घटनाएं मसलन कैदी से मारपीट मोबाइल पकड़ाना समेत अन्य किसी तरह की भी घटनाओं को अंजाम दिया है ऐसे कैदियों को बाहर निकलने पर ग्रहण लग सकता है।
इस तरह की सूचना मिलने के बाद केंद्रीय कारा में बंद ऐसे कैदियों में उत्साह का माहौल है और वह खुशी से झूम उठे हैं कि अब उन्हें जल्द ही जेल से बाहर कर दिया जाएगा। स्टेट कमिटी करेगी इस मामले पर विचार कारा अधीक्षक इंजीनियर जितेंद्र कुमार ने बताया कि कारा प्रबंधन पटना के द्वारा 5 साल के सजयाफ्ता कैदी की सूची मांगी गई है। उन्होंने बताया कि इस मामले को लेकर अंतिम निर्णय स्टेट कमेटी के सदस्यों को करना है। उन्होंने बताया कि ऐसे कैदियों की सूची के साथ उनके आदत समेत कई अन्य जानकारी भेजी जाएगी । ताकि कमिटी उन पर विचार विमर्श कर सकें । उन्होंने बताया कि अपराधिक प्रवृत्ति के ऐसे कैदी जिन्होंने 5 साल जेल में रहने के दौरान भी कई घटनाएं मसलन कैदी से मारपीट मोबाइल पकड़ाना समेत अन्य किसी तरह की भी घटनाओं को अंजाम दिया है ऐसे कैदियों को बाहर निकलने पर ग्रहण लग सकता है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हो रही है पहल
बताया जाता है कि देश के अधिकांश जेलों में संख्या से अधिक कैदी बंद हैं। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा एक आदेश दिया गया है कि 5 साल के सजायाफ्ता कैदी को उनके अच्छे आदत को देखते हुए फिलहाल पैरोल पर रिहा किया जाए ताकि जेल के अंदर केरोना वायरस के संक्रमण को फैलने का खतरा कम हो। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिए गए हैं कि ऐसे कैदियों पर नजर स्थानीय पुलिस को भी रखनी है ताकि वह किसी तरह की गड़बड़ी समाज में फिर दोबारा नहीं करें।
बताया जाता है कि देश के अधिकांश जेलों में संख्या से अधिक कैदी बंद हैं। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा एक आदेश दिया गया है कि 5 साल के सजायाफ्ता कैदी को उनके अच्छे आदत को देखते हुए फिलहाल पैरोल पर रिहा किया जाए ताकि जेल के अंदर केरोना वायरस के संक्रमण को फैलने का खतरा कम हो। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिए गए हैं कि ऐसे कैदियों पर नजर स्थानीय पुलिस को भी रखनी है ताकि वह किसी तरह की गड़बड़ी समाज में फिर दोबारा नहीं करें।
कोसी और सीमांचल के जिलों में पांच हजार से अधिक कैदी
बताया जाता है कि कोसी और सीमांचल के जिलों के सात उपकारा और केंद्रीय कारा पूर्णिया में पांच हजार से अधिक ऐसे कैदी हैं जिन पर 5 साल की सजायाफ्ता है और ऐसे में यह कैदी के बाहर निकलने से जेल में कैदियों की संख्या भी घटेगी।
बताया जाता है कि कोसी और सीमांचल के जिलों के सात उपकारा और केंद्रीय कारा पूर्णिया में पांच हजार से अधिक ऐसे कैदी हैं जिन पर 5 साल की सजायाफ्ता है और ऐसे में यह कैदी के बाहर निकलने से जेल में कैदियों की संख्या भी घटेगी।
डाटा मंगवाया जा रहा है अंतिम निर्णय स्टेट कमिटी करेगी बिहार के सभी जिलों के जेलों से 5 साल के सजायाफ्ता कैदी की संख्या का डाटा मंगवाया जा रहा है। इसके अलावा डाटा में उनके आदत समेत कई अन्य तरह की जानकारी भी मांगी गई है। इस तरह के कैदियों को पैरोल पर छोड़ने का अंतिम निर्णय स्टेट कमेटी के द्वारा ली जाएगी। - मिथिलेश कुमार मिश्रा कारा आईजी पटना