Vijay Kumar Sinha: बिहार के डिप्टी सीएम और राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री विजय कुमार सिन्हा के जन संवाद कार्यक्रमों ने विभाग में हड़कंप मचा दिया है.
बिहार राजस्व सेवा संघ ने इसे प्रशासनिक मर्यादाओं के खिलाफ बताते हुए मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है और चेतावनी दी है कि अगर यही रवैया जारी रहा तो वे मंत्री के कार्यक्रमों का सामूहिक बहिष्कार करेंगे.
जन संवाद बना टकराव की वजह
मंत्री बनने के बाद विजय कुमार सिन्हा पटना, मुजफ्फरपुर और पूर्णिया समेत कई जिलों में जन संवाद कर चुके हैं. इन कार्यक्रमों में जमीन से जुड़े विवाद, दाखिल-खारिज और परिमार्जन जैसे मामलों में अंचल कार्यालयों की कार्यशैली खुलकर सामने आई.
प्रभात खबर डिजिटल प्रीमियम स्टोरी
कई मामलों में सीओ और कर्मचारियों की लापरवाही पर मंत्री ने सख्त टिप्पणी की और तुरंत कार्रवाई के संकेत दिए. यही सख्ती अब अधिकारियों के लिए असहजता का कारण बन गई है.
CM को लिखी चिट्ठी में क्या कहा गया
बिहार राजस्व सेवा संघ ने मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में आरोप लगाया है कि डिप्टी सीएम सार्वजनिक मंचों और सोशल मीडिया पर अधिकारियों का अपमान कर रहे हैं. संघ का कहना है कि “खड़े-खड़े सस्पेंड कर देंगे” और “यहीं फैसला होगा” जैसे बयान संवैधानिक लोकतंत्र की भावना के खिलाफ हैं. पत्र में इसे “ऑन द स्पॉट न्याय” और “ड्रमहेड कोर्ट” जैसी तमाशाई प्रशासनिक शैली बताया गया है.
संवैधानिक मूल्यों का हवाला
संघ ने अपने पत्र में संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का हवाला देते हुए कहा है कि बिना प्रक्रिया और जांच के सार्वजनिक दंडात्मक बयान प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन हैं. अधिकारियों का कहना है कि लोकप्रियता के लिए प्रशासनिक मर्यादाओं को ताक पर रखा जा रहा है, जिससे विभाग की साख प्रभावित हो रही है.
NDA शासन पर भी सवाल
पत्र में यह भी कहा गया है कि मंत्री अपने बयानों में यह भूल जाते हैं कि पिछले दो दशकों से अधिक समय तक राज्य में एनडीए की सरकार रही है. ऐसे में केवल मौजूदा अधिकारियों को दोषी ठहराना न तो न्यायसंगत है और न ही व्यावहारिक. संघ ने भूमि विवादों को बिहार की पुरानी और संरचनात्मक समस्या बताया है.
बहिष्कार की खुली चेतावनी
राजस्व सेवा संघ ने साफ कहा है कि यदि सार्वजनिक मंचों पर अधिकारियों के खिलाफ बयानबाजी बंद नहीं हुई और विभागीय निगरानी के लिए तय कानूनी प्रक्रिया नहीं अपनाई गई, तो वे ऐसे सभी कार्यक्रमों का सामूहिक बहिष्कार करेंगे. यह पत्र मुख्यमंत्री के साथ-साथ बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष, मुख्य सचिव और विभाग के प्रधान सचिव को भी भेजा गया है.
इस पूरे विवाद ने सरकार के भीतर ही प्रशासन और राजनीतिक नेतृत्व के रिश्तों को सवालों के घेरे में ला दिया है. अब सबकी निगाह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर टिकी है कि वे सख्ती और प्रशासनिक संतुलन के बीच कैसे रास्ता निकालते हैं.