इससे संबंधित प्रस्ताव तैयार करके पुलिस महकमा ने गृह विभाग को भेज दिया है। अनुमति मिलने के साथ ही इनके गठन की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। यह जानकारी एडीजी (विधि-व्यवस्था) पंकज कुमार दराद ने दी। वह सोमवार को पुलिस मुख्यालय सरदार पटेल भवन के सभागार में आयोजित प्रेस वार्ता को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि ये क्षेत्रीय कार्यालय जहां मौजूद रहेंगे, वहां के आसपास के जिलों को इससे जोड़ा जाएगा। एडीजी दराद ने कहा कि इन क्षेत्रीय कार्यालय का गठन होने से एटीएस की कार्य क्षमता का विकास होगा। इनकी जवाबदेही आतंकवाद से जुड़ी गतिविधि पर नजर रखने के साथ ही धार्मिक, राष्ट्रविरोधी और आपराधिक गतिविधि पर भी नजर रखने की होगी। यह सभी जिलों में मौजूद स्पेशल ब्रांच के समानांतर काम करेगा। प्रत्येक क्षेत्रीय कार्यालय की कमान डीएसपी रैंक के अधिकारी के पास होगी।
उन्होंने कहा कि एटीएस सीमावर्ती इलाकों में आतंकवाद से जुड़ी गतिविधियों पर भी निरंतर नजर बनाए रखता है। राष्ट्र विरोधी गतिविधियों से संबंधित धाराओं में जेल में बंद जो लोग छूटकर बाहर आते हैं, उन पर भी निरंतर नजर बनाए रखने और इनसे संबंधित सूचना एकत्र करने का काम भी एटीएस के स्तर से की जाती है। उन्होंने कहा कि एटीएस की सोशल मीडिया इकाई के माध्यम से 176 व्यक्ति को चरमपंथी विचारधारा के कारण चिन्हित किया गया है। इसमें 12 लोगों को अतिचरमपंथी उन्माद की प्रवृति को लेकर मानसिक रूप से प्रेरित करके समझाने का काम किया गया है।
एडीजी ने कहा कि सभी जिलों में मौजूद तमाम थानों में एक अधिकारी और एक सिपाही को खासतौर से आसूचना एकत्र करने के लिए रखा गया है। इनकी जवाबदेही मादक पदार्थों की तस्करी, शराब के अवैध व्यापार, आतंकवाद, अपराध समेत अन्य सभी जरूरी मुद्दों पर आसूचना एकत्र कर इसे जिला से लेकर मुख्यालय तक पहुंचाने की होगी। जिलों में मौजूद सीएटी की टीम के साथ समन्वय स्थापित कर ये कार्य करेंगे।
उन्होंने कहा कि एसटीएस के अंतर्गत गठित विशेष स्वाट (एसडब्ल्यूएटी यानी स्पेशल वेपन एंड टैक्टिस टीम) टीम की जिम्मेदारी राज्य में मौजूद 257 संवेदनशील संस्थानों के निगरानी की है। इसमें पिछले वर्ष 194 और इस वर्ष 41 में मॉक ड्रील एवं रेकी की गई है। उन्होंने कहा कि एटीएस के अब तक 176 कमांडों को विशेष रूप से ट्रेनिंग दी जा चुकी है। इन्हें एसजी के मनेसर और कोलकाता स्थित केंद्रों पर खासतौर से प्रशिक्षण दिया गया है।