Kosi Live-कोशी लाइव BIHAR:बिहार में 100 नई फास्ट ट्रैक अदालतों की स्थापना का ऐलान - Kosi Live-कोशी लाइव

KOSILIVE BREAKING NEWS

Monday, December 8, 2025

BIHAR:बिहार में 100 नई फास्ट ट्रैक अदालतों की स्थापना का ऐलान

हेडलाइन:
बिहार में 100 नई फास्ट ट्रैक अदालतों की स्थापना का ऐलान: 18 लाख लंबित मामलों के निपटारे को मिलेगी रफ्तार, 900 नए न्यायिक पदों पर भर्ती जल्द

पूरी खबर:


बिहार सरकार ने रविवार को राज्य की न्यायिक व्यवस्था में ऐतिहासिक सुधार की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए पूरे बिहार में 100 नई फास्ट ट्रैक अदालतें (एफटीसी) स्थापित करने का ऐलान किया। उपमुख्यमंत्री एवं गृह मंत्री सम्राट चौधरी ने बताया कि इन अदालतों का मुख्य उद्देश्य 18 लाख से अधिक लंबित आपराधिक मामलों का त्वरित निपटारा करना और नियमित अदालतों पर बढ़ते दबाव को कम करना है।

सरकार ने स्पष्ट किया है कि फास्ट ट्रैक अदालतों में हत्या, लूट, डकैती, आर्म्स एक्ट जैसे गंभीर आपराधिक मामलों को प्राथमिकता से सुना जाएगा, ताकि पीड़ितों को त्वरित न्याय मिल सके और अपराधियों में कानून का भय स्थापित हो।

🔹 जिलावार फास्ट ट्रैक अदालतों का बंटवारा

सम्राट चौधरी ने जिलों के आधार पर नई एफटीसी का वितरण भी घोषित किया—

  • पटना – 8 अदालतें (सबसे अधिक)
  • गया, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, भागलपुर – 4-4 अदालतें
  • नालंदा, रोहतास, सारण, बेगूसराय, वैशाली, पूर्वी चंपारण, समस्तीपुर, मधुबनी – 3-3 अदालतें
  • पश्चिमी चंपारण, सहरसा, पूर्णिया, मुंगेर, नवादा, जहानाबाद, अरवल, औरंगाबाद, कैमूर, बक्सर, भोजपुर, सीतामढ़ी, शिवहर, सीवान, गोपालगंज, सुपौल, मधेपुरा, अररिया, किशनगंज, कटिहार, बांका, जमुई, शेखपुरा, लखीसराय, खगड़िया – 2-2 अदालतें

🔹 900 नए न्यायिक पद, रिटायर्ड जजों को भी मौका

इन अदालतों को सुचारू रूप से चलाने के लिए सरकार 900 नए न्यायिक पदों पर भर्ती करने जा रही है।
साथ ही, रिटायर्ड जजों की पुनर्नियुक्ति का भी प्रस्ताव रखा गया है, ताकि अनुभवी न्यायाधीशों की मदद से तेजी से सुनवाई सुनिश्चित की जा सके।

🔹 कानून-व्यवस्था को मजबूत करने की बड़ी पहल

सरकार का दावा है कि इन 100 नई फास्ट ट्रैक अदालतों की स्थापना से—

  • पुराने मामलों को तेजी से निपटाने में मदद मिलेगी,
  • न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ेगी,
  • अपराध नियंत्रण में राहत मिलेगी और
  • पूरे राज्य में कानून-व्यवस्था मजबूत होगी

यह फैसला बिहार की न्यायिक प्रणाली को गति देने वाला कदम माना जा रहा है और आने वाले महीनों में इसका सीधा लाभ आम जनता को मिलने की उम्मीद है।