500 करोड़ की जमीन, फर्जी कागजात और रिश्वत का खेल: समस्तीपुर के रोसड़ा में जमीन घोटाले से हड़कंप
समस्तीपुर। बिहार के समस्तीपुर जिले के रोसड़ा अनुमंडल से सरकारी और मठ की जमीन पर अवैध कब्जे का एक बड़ा मामला सामने आया है। आरोप है कि भू-माफियाओं ने करीब 500 करोड़ रुपये मूल्य की सरकारी और धार्मिक संपत्तियों पर फर्जी दस्तावेजों के जरिए कब्जा कर लिया, जिसमें अंचल स्तर के अधिकारियों की भूमिका भी संदेह के घेरे में है। इस मामले के सामने आने के बाद प्रशासनिक और राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मच गया है।
इस प्रकरण में रोसड़ा की अंचलाधिकारी (सीओ) बंदना कुमारी पर भू-माफियाओं से सांठगांठ कर जमीन के रिकॉर्ड में हेराफेरी करने का आरोप लगाया गया है। मामला मुख्य रूप से कबीर मठ और महादेव मठ की बहुमूल्य जमीन से जुड़ा बताया जा रहा है। आरोप है कि मठ की करीब तीन बीघा जमीन को नियमों को ताक पर रखकर दूसरे लोगों के नाम दर्ज कर दिया गया और रजिस्टर-टू में छेड़छाड़ कर गलत तरीके से रसीद काटी गई।
इस पूरे मामले को सामाजिक कार्यकर्ता रविंद्र नाथ चिंटू ने उजागर किया है। उन्होंने बताया कि वे लंबे समय से रोसड़ा क्षेत्र में मठ और सरकारी जमीनों पर हो रहे अवैध कब्जों के खिलाफ अभियान चला रहे हैं। उनका आरोप है कि मठ की जमीन को साजिश के तहत भू-माफियाओं के नाम कर दिया गया, जिसमें तत्कालीन और वर्तमान अंचल अधिकारियों की भूमिका बेहद संदिग्ध है।
दस्तावेजों से छेड़छाड़ का आरोप
रविंद्र नाथ चिंटू का दावा है कि अंचल स्तर पर जमीन के दस्तावेजों में गंभीर हेराफेरी की गई है। उन्होंने बताया कि कबीर मठ की जिस जमीन को आयुर्वेदिक कॉलेज खोलने के उद्देश्य से मठ के महंत द्वारा राज्यपाल के नाम दान किया गया था, उसी जमीन की बाद में गलत तरीके से बंदोबस्ती कर दी गई। उनके अनुसार, इस पूरे मामले से जुड़े ठोस दस्तावेजी प्रमाण उनके पास मौजूद हैं, जिन्हें उन्होंने जिला प्रशासन से लेकर उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिंह तक सौंपा है।
राजनीति में भी उठा मामला
मामला सामने आने के बाद राजनीतिक हलकों में भी हलचल तेज हो गई है। बिहार सरकार के पूर्व मंत्री महेश्वर हजारी ने इस मुद्दे को बैठक में उठाते हुए उच्चस्तरीय जांच और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है। वहीं रोसड़ा से भाजपा विधायक वीरेंद्र कुमार ने कबीर मठ से अपने पारिवारिक जुड़ाव का जिक्र करते हुए स्वीकार किया कि मठ की संपत्तियों का गलत तरीके से दुरुपयोग हो रहा है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि मठ की जमीन को संरक्षित करने और भू-माफियाओं के कब्जे से मुक्त कराने के लिए वे व्यक्तिगत रूप से पहल करेंगे।
डीएम तक पहुंचा मामला
सामाजिक कार्यकर्ता ने बताया कि यह मामला अब समस्तीपुर के जिलाधिकारी के संज्ञान में है और प्रशासन की ओर से जांच व कार्रवाई का आश्वासन दिया गया है। हालांकि बड़ा सवाल यह है कि जब सरकार भू-माफियाओं के खिलाफ अभियान चला रही है, तब क्या कुछ अधिकारी ही इस पूरे खेल को संरक्षण दे रहे हैं?
अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि रोसड़ा में करोड़ों रुपये मूल्य की मठ और सरकारी जमीन से जुड़े इस कथित घोटाले पर प्रशासन कब और क्या ठोस कार्रवाई करता है, और क्या दोषी अधिकारियों पर भी सख्त कदम उठाए जाएंगे।