पीड़िता कैलाश देवी ने आरोप लगाया है कि उनके बड़े बेटे ने धोखाधड़ी कर उनकी जमीन बेच दी।
कैलाश देवी के अनुसार, उन्होंने पहले हरिलोचनपुर सुक्की थाना में शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद वह अपने छोटे बेटे नंद किशोर सिंह के साथ हाजीपुर न्यायालय पहुंचीं। न्यायालय ने मामले की गंभीरता को देखते हुए वैशाली के पुलिस अधीक्षक को प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई का निर्देश दिया। न्यायालय के आदेश के बाद 12 सितंबर को नगर थाना, हाजीपुर में एफआईआर दर्ज की गई।
एफआईआर के मुताबिक कैलाश देवी उर्फ कैलसिया देवी खाता संख्या 529, खेसरा संख्या 325 और जमाबंदी संख्या 1252 में दर्ज जमीन की वैध मालिक हैं और वे नियमित रूप से बिहार सरकार को इस जमीन का लगान देती रही हैं। आरोप है कि कैलाश देवी के बड़े बेटे नवल किशोर सिंह ने गांव के अरुण कुमार सिन्हा के साथ मिलकर साजिश रची। दोनों ने 3 जुलाई 2023 को हाजीपुर जिला निबंधन कार्यालय में एक फर्जी बिक्री विलेख (डीड संख्या 7523) तैयार कराया। जिसमें कैलाश देवी को मृत दर्शाया गया, जबकि वे जीवित थीं।
इस मामले में निबंधन कार्यालय की भूमिका भी संदेह के घेरे में है। आरोप है कि रजिस्ट्री के दौरान न तो दस्तावेजों की सही जांच की गई और न ही स्थल सत्यापन कराया गया। कातिब, गवाह, पहचानकर्ता, विक्रेता और क्रेता की मिलीभगत से फर्जी रजिस्ट्री कराई गई। पेशा 'काश्तकारी' दिखाकर इस कृत्य को वैध रूप देने की कोशिश की गई। हाजीपुर जिला निबंधन कार्यालय के कातिब रंजीत सिंह की भूमिका भी संदिग्ध बताई जा रही है, जिसकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस लगातार छापेमारी कर रही है।
नगर थाना पुलिस ने अब तक चार आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। गिरफ्तार आरोपियों में पीड़िता का बड़ा पुत्र और विक्रेता नवल किशोर सिंह, क्रेता अरुण कुमार सिन्हा, मौदह बुजुर्ग निवासी पहचानकर्ता सुनील भगत और गवाह रामबाबू सहनी शामिल हैं। पुलिस मामले की गहन जांच में जुटी हुई है।