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Sunday, December 28, 2025

बिहार में बड़ा ट्रेन हादसा, मालगाड़ी के 3 डिब्बे नदी में गिरे और कई बेपटरी; परिचालन बाधित

सिमुलतला (जमुई)। सिमुलतला और लहाबन के बीच बीती रात जो हुआ, वह किसी संयोग से कम नहीं, बल्कि साक्षात ईश्वर का चमत्कार है। अगर घड़ियों की सुई में महज कुछ सेकेंड का भी फेरबदल होता, तो आज भारतीय रेल के इतिहास में एक और काला अध्याय जुड़ जाता।

15050 गोरखपुर-कोलकाता पूर्वांचल एक्सप्रेस में सवार हजारों यात्री मौत के मुहाने से वापस लौट आए हैं।

रोंगटे खड़े कर देने वाला मंजर...

घटनास्थल का दृश्य देखकर किसी की भी रूह कांप जाए। आसनसोल से सीतामढ़ी जा रही सीमेंट से लदी मालगाड़ी (अप लाइन) जिस वीभत्स तरीके से पटरी से उतरी, उसने तबाही की नई परिभाषा लिख दी।

मालगाड़ी के बेकाबू डब्बे अपनी पटरी तोड़कर डाउन लाइन पर जा गिरे-वहीं डाउन लाइन, जिस पर से महज कुछ ही पल पहले यात्रियों से खचाखच भरी पूर्वांचल एक्सप्रेस गुजरी थी।

दृश्य इतना भयावह है कि सीमेंट से लदी बोगियां लोहे की पटरियों को चीरते हुए दूसरी तरफ जा गिरीं। अगर उस वक्त Purvanchal Express वहां होती, तो टक्कर इतनी भीषण होती कि लोहे के पुर्जे और इंसानी जिस्मों का फर्क मिट जाता। मौत और जिंदगी के बीच सिर्फ कुछ मिनटों' का फासला।

रेलवे के आंकड़ों ने इस घटना की भयावहता को और गहरा दिया है। रात्रि 11:01 बजे 15050 गोरखपुर-कोलकाता पूर्वांचल एक्सप्रेस सिमुलतला स्टेशन से डाउन लाइन पर गुजरती है। रात्रि 11:02 बजे, सीमेंट लदी मालगाड़ी लहाबन स्टेशन से अप लाइन पर गुजरती है।

महज कुछ ही मिनटों के बाद, सिमुलतला से साढ़े तीन किलोमीटर और लहाबन से करीब साढ़े पांच किलोमीटर की दूरी पर मालगाड़ी बेपटरी हो गई। उसके डब्बे डाउन लाइन को पूरी तरह बाधित कर चुके थे।

सोचिए, अगर पूर्वांचल एक्सप्रेस थोड़ी भी लेट होती या मालगाड़ी थोड़ी पहले वहां पहुंचती, तो हजारों जिंदगियां मलबे के ढेर में तब्दील हो जातीं।

एक बड़ी तबाही का संकेत...

जिस तरह से मालगाड़ी के भारी-भरकम डब्बे डाउन ट्रैक पर बिखरे पड़े हैं, उससे साफ है कि यह दुर्घटना एक बड़ी त्रासदी को निमंत्रण दे रही थी। सिमुलतला और लहाबन के बीच की 9 किलोमीटर की दूरी बीती रात 'मौत के गलियारे' में बदल गई थी।

इसे ईश्वर की असीम कृपा ही कहा जाएगा कि जब पटरियों पर हादसा हुआ, तब तक पूर्वांचल एक्सप्रेस सुरक्षित निकल चुकी थी। वरना आज सुबह का सूरज हजारों परिवारों के लिए कभी न मिटने वाला अंधेरा लेकर आता।

बिहार में बड़ा रेल हादसा हुआ है। जमुई जिले के पास हुए इस हादसे के बाद कई ट्रेनों के परिचालन पर इसका असर हुआ है। पूर्व रेलवे के आसनसोल रेल मंडल के जसीडीह-झाझा मुख्य रेल खंड पर शनिवार को देर रात करीब 12 बजे सीमेंट लदी एक मालगाड़ी दुर्घनाग्रस्त हो गई।

मालगाड़ी के तीन डिब्बे बथुआ नदी में गिर गए। जानकारी के अनुसार हादसा जसीडीह-झाझा मुख्य रेल खंड के मध्य टेलवा बाजार हॉल्ट के पास बधुआ नदी पर स्थित पुल संख्या 676 पर हुआ। बताया जाता है कि जसीडीह की ओर से अप ट्रैक पर आ रही एक सीमेंट से लदी मालगाड़ी अचानक दुर्घटनाग्रस्त हो गई। दुर्घटना में मालगाड़ी के तीन डिब्बे पुल से नीचे नदी में गिर गए, जबकि दो डिब्बे पुल पर ही ट्रेन से निकलकतर अलग हो गए।

वहीं, मालगाड़ी के एक दर्जन डिब्बे एक-दूसरे में चढ़ गए और जसीडीह-झाझा मुख्य रेलमार्ग की डाउन पटरी पर आ गए। फिलहाल हादसे की वजह स्पष्ट नहीं हो सकी है। रेलवे के आला अफसरों को मामले की जानकारी मिलते ही संबंधित जिम्मेदारों को देर रात ही मौके की ओर रवाना किया गया है। रात के अंधरे में अभी तक क्षति का आकलन भी नहीं किया जा सका है। रेलमार्ग के डाउन ट्रैक पर मालगाड़ी के डिब्बों के आ जाने के कारण इस मार्ग पर रात करीब 12 बजे से ही ट्रेनों का आवागमन प्रभावित है। रेलवे के कई अधिकारी घटनास्थल पर पहुंचे हैं।

जानकारी के अनुसार जमुई जिले के झाझा और जसीडीह स्टेशन पर कई ट्रेनें खड़ी हैं, जिनकी जानकारी अभी नहीं मिल पाई है। आसनसोल डिवीजन के पीआर ओ बिपला बोरी ने बताया कि दुर्घटना हुई है। घटनास्थल पर विशेष टीम को भेजा जा रहा है। दुर्घटना में मालगाड़ी की कुल 17 बोगियां पटरी से उतर गईं। हादसे के बाद स्टेशन प्रबंधक अखिलेश कुमार, आरपीएफ ओपी प्रभारी रवि कुमार और पीडब्लूआई रंधीर कुमार के घटनास्थल पर पहुंचने की सूचना है पर अभी कोई भी कुछ बताने से इंकार कर रहे हैं।