इसके लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास पर तेजी से काम हो रहा है। बिहार में पांच नए एक्सप्रेस-वे के निर्माण पर काम हो रहा है। इसके अलावा कई महत्वपूर्ण सड़कों का निर्माण किया जा रहा है। सुदूर इलाकों में भी सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है।
मंत्री शनिवार को पहले नेशनल सस्टेनेबिलिटी कन्वेंशन 2025 को संबोधित कर रहे थे। इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (इंडिया) के सस्टेनेबल डेवलपमेंट फोरम की ओर से तारामंडल में दो दिवसीय कन्वेंशन का आयोजन किया गया है। रविवार को भी कन्वेंशन जारी रहेगा। मंत्री ने कहा कि हम 20वीं सदी के तरीकों का उपयोग करके 21वीं सदी का बुनियादी ढांचा नहीं बना सकते। हमारा लक्ष्य शून्य दोष, पर्यावरण पर शून्य प्रतिकूल प्रभाव और सुरक्षा की शून्य घटनाएं होनी चाहिए। हमें सामग्री की बर्बादी कम करने के लिए थ्री डी प्रिटिंग जैसी अभिनव तकनीकों को अपनाना चाहिए। टिकाऊ जलवायु लचीली सड़कें बनाने होंगे। इसके लिए फ्लाई ऐश और स्टोन डस्ट जैसे औद्योगिक उप उत्पादों का उपयोग करना चाहिए जो पर्यावरणीय और सामाजिक न्याय दोनों का प्रतीक हों।
सामान्य प्रशासन विभाग के महानिदेशक सह मुख्य जांच अधिकारी दीपक कुमार सिंह ने कहा कि आधारभूत संरचना के विकास के तहत निर्माण कार्य में स्थानीय सामग्री व स्थानीय तकनीकों के उपयोग अधिक प्रभावी होगा। उन्होंने केवल तटबंध बनाकर बाढ़ नियंत्रण करने की बजाए उचित बाढ़ प्रबंधन के महत्व पर भी प्रकाश डाला।
कन्वेंशन के मुख्य वक्ता यूनिसेफ के शिवेन्द्र पांडेया ने कहा कि विकास की कोई कार्ययोजना बगैर युवाओं और महिलाओं के पूरा नहीं हो सकता। हमें मुसहरों जैसे समुदायों की महिलाओं को जो स्थानीय संसाधनों की कच्ची संरक्षक हैं, क्षमता निर्माण और वित्तीय पहुंच के माध्यम से सशक्त बनाना होगा। बिहार में महिला श्रम बल भागीदारी में हालिया वृद्धि एक आर्थिक संकेत है, जिसे नीति और सामाजिक बुनियादी ढाचें द्वारा समर्थित किया जाना चाहिए।
इसके पहले एसडीएफ के अध्यक्ष अजय कुमार सिन्हा ने कहा कि कन्वेंशन को एक रणनीतिक खाका तैयार करना चाहिए। ताकि बिहार को बाढ़ और सूखे के बीच लगातार झूलने वाले राज्य से बदलकर जलवायु लचीलेपन में अग्रणी बनाया जा सके। सम्मेलन संयोजक और बिहार केंद्र के चेयरमैन नीलमणि रंगेश ने धन्यवाद ज्ञापन किया। इस अवसर पर बेहतर कार्यों के लिए सस्टेनेबिलिटी अवार्ड्स भी दिये गये।