सहरसा। पति के दीर्घायु होने की कामना और परिवार की सुख-समृद्धि के लिए महिलाओं ने शुक्रवार को उपवास रख विधि-विधान के साथ वट सावित्री की पूजा की। लॉकडाउन व शारीरिक दूरी का पालन किए जाने के क्रम में अन्य वर्षों की तरह महिलाओं की एकसाथ वटवृक्षों के समीप पूजा के लिए भीड़ नहीं उमड़ी, परंतु जहां कुछ महिलाओं ने घर पर ही पूजा की, वहीं वट वृक्षों के समीप पूजा के लिए क्रमवार सुहागिनों के आने का सिलसिला शाम तक जारी रहा।
इस पूजा के लिए नवविवाहितों का उत्सार चरम पर रहा। महिलाओं ने वटवृक्ष की पूजा की, सिदूर लगाकर अपने सुहाग की रक्षा की कामना की। वहीं पेड़ में धागा लपेटकर पति के दीर्घ जीवन के साथ परिवार के सुख- समृद्धि की कामना की। पूजा के बाद महिलाओं ने सावित्री सत्यवान की कथा सुनी, तत्पश्चात बिना नमक के सूर्यास्त के पूर्व भोजन कर व्रत तोड़ा।
सुहागिनों को कथा सुनाते हुए पंडित चन्द्रकांत झा ने कहा कि वट सावित्री पर्व सौभाग्य और संतान का सुख देनेवाला पर्व है। भारतीय संस्कृति में यह पर्व आदर्श नारीत्व का प्रतीक बन चुका है। सुहागिन पति के दीर्घायु जीवन और परिवार की सुख-शांति के लिए यह व्रत करती है। कहा कि पीपल की तरह वटवृक्ष का हिन्दू धर्म में काफी महत्व है। पुराणों के अनुसार वटवृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों विराजमान रहते हैं। कहा जाता है कि इसी वटवृक्ष की पूजा के बल पर सावित्री ने यमराज से अपने पति सत्यवान का प्राण वापस लिया था। इस व्रत में शामिल एक दूसरे को सिदूर लगाकर अमर सुहाग की कामना करती है। जिले भर में यह व्रत महिलाओं ने काफी उत्साहपूर्वक मनाया।